Success Story of Natural Farming Progressive Farmer Narendra Chaahar: किसानों के मन में हमेशा यह सवाल होता है कि खेती से ज्यादा लाभ कैसे कमाया जाए? लेकिन कुछ ऐसे किसान हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और समझदारी से यह साबित कर दिया है कि खेती से भी अच्छे खासे पैसे कमाए जा सकते हैं. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले नरेंद्र चाहर, जो पहले एक एमएनसी (MNC) कंपनी में काम करते थे, आज एक प्रगतिशील और समृद्ध प्राकृतिक किसान बन चुके हैं.
उनकी सफलता की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह उन सभी किसानों के लिए एक उदाहरण है जो पारंपरिक तरीके से खेती करने में विश्वास रखते हैं. उनकी सफलता को ध्यान में रखते हुए हाल ही में, कृषि जागरण द्वारा आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स द्वारा प्रायोजित मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स-2024 में ‘स्टेट अवार्ड’ मिला है. ऐसे में आइए प्रगतिशील प्राकृतिक किसान नरेंद्र चाहर की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
एमएनसी से प्राकृतिक खेती तक का सफर
नरेंद्र चाहर का जीवन एक सामान्य शुरुआत से हुआ था. वह पहले एक एमएनसी एग्रोकेमिकल कंपनी में काम करते थे, जहां उनका जीवन स्थिर था. लेकिन एक कैंसर मरीज की कहानी सुनकर उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उनका जीवन कुछ और उद्देश्य के लिए होना चाहिए. उन्होंने खुद से सवाल किया कि क्या वह बस अपने पूरे जीवन को एक सामान्य नौकरी में ही बिता देंगे, या फिर कुछ अलग करके अपने जीवन को एक नई दिशा देंगे?
कुछ समय बाद उन्होंने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का एक वीडियो देखा, जिसमें वे प्राकृतिक खेती यानी जीरो बजट फार्मिंग के बारे में बता रहे थे. आचार्य देवव्रत के शब्दों ने नरेंद्र चाहर को काफी प्रभावित किया. उन्होंने ठान लिया कि वह अब प्राकृतिक खेती की ओर रुख करेंगे और इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया.
प्राकृतिक खेती: जीरो बजट फार्मिंग का रास्ता
प्रगतिशील किसान नरेंद्र चाहर ने अपनी खेती की शुरुआत प्राकृतिक खेती से की. प्राकृतिक खेती यानी जीरो बजट फार्मिंग एक ऐसी खेती है जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि गोबर, गौमूत्र, दूध, दही, घी और छाछ जैसे गौ उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है. साथ प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग किया जाता है.
प्रगतिशील किसान नरेंद्र ने अपनी 16 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती शुरू की. हालांकि, उनके पास कुल 24 एकड़ जमीन थी. कुछ हिस्से उन्होंने लीज पर ले रखे थे, जिससे उनकी कुल खेती की जमीन 45 एकड़ तक पहुंच गई. मौजूदा वक्त में उनके पास चार देसी नस्ल के पशु भी हैं, जिनका उपयोग वे अपनी खेती के लिए करते हैं. उनका मानना है कि एक गोवंश से कम से कम 10 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है.
सीजनल फसलें और इंटरक्रोपिंग
नरेंद्र चाहर के खेतों में हमेशा कुछ न कुछ नया चलता रहता है. वह सीजनल फसलों की खेती करते हैं, जिसमें रबी सीजन में चना, सरसों, मसूर, गेहूं, आलू आदि की फसलें शामिल हैं. इसके अलावा, वह इंटरक्रोपिंग भी करते हैं, यानी दो या दो से ज्यादा फसलों को एक साथ एक ही खेत में उगाते हैं.
उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती में फसलों को ज्यादा बीमारियां और समस्याएं नहीं होतीं. यदि कोई समस्या उत्पन्न होती भी है, तो उसे जीवामृत, घन जीवामृत, अग्नि अस्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे उत्पादों से आसानी से हल किया जा सकता है. इन उत्पादों के द्वारा कीट, दीमक और इल्ली जैसी समस्याओं से आसानी से निपटा जा सकता है, जो सामान्य खेती में आमतौर पर देखने को मिलती हैं.
प्राकृतिक खेती की शुरुआत और चुनौतीपूर्ण समय
प्रगतिशील किसान नरेंद्र बताते हैं कि प्राकृतिक खेती शुरू करने के शुरुआती तीन साल तक आमदनी बहुत अच्छी नहीं होती. इस दौरान उन्हें मेहनत करनी पड़ी और उन्होंने बहुत सारी नई बातें सीखीं. लेकिन इस दौर के बाद, जब फसलें स्थिर होने लगीं और उनकी उपज बढ़ी, तो उनकी आमदनी में भी तेजी से वृद्धि हुई.
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती की शुरुआत में उन्हें बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया कि अगर सच्ची नीयत और कठिन मेहनत से काम किया जाए, तो सफलता जरूर मिलती है.
आमदनी और उत्पादन
प्रगतिशील किसान नरेंद्र ने आगे चलकर दाल, तेल, तिल, और अन्य उत्पादों को भी तैयार करना शुरू किया. इन उत्पादों में से लगभग 80 प्रतिशत उनके घर से ही ‘स्वस्तिक’ ब्रांड के तहत बिक जाते हैं. यह एक बहुत ही सशक्त व्यवसाय मॉडल साबित हुआ है, क्योंकि वे न केवल अपनी खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि अपने उत्पादों का खुद ही मार्केटिंग भी करते हैं.
प्राकृतिक खेती से मिलने वाली आमदनी ने उन्हें एक समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर किया है. उनकी कड़ी मेहनत और सही दिशा में किए गए प्रयासों ने उन्हें एक सफल और एक करोड़पति किसान बना दिया है.
कृषि जागरण अवार्ड और राष्ट्रीय पहचान
नरेंद्र चाहर की कड़ी मेहनत और सफलता को न केवल उनके आसपास के लोग बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाना गया. 2024 में, उन्हें मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स में ‘स्टेट अवार्ड’ सम्मानित किया गया. यह अवार्ड कृषि जागरण द्वारा प्रदान किया गया था, जो किसानों की सफलता को मान्यता देने का एक प्रयास है.
कृषि जागरण से बातचीत में नरेंद्र ने इस अवार्ड को एक बड़ी उपलब्धि माना और कृषि जागरण की सराहना करते हुए कहा कि MFOI Awards 2024 में किसानों के लिए रेड कार्पेट बिछाया गया था, जो सामान्यतः नेताओं और अभिनेताओं के लिए बिछाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस अवार्ड ने उन्हें और उनके जैसे अन्य किसानों को एक नई दिशा दिखाई है. एक करोड़पति किसान होने की वजह से उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ और अब वह चाहते हैं कि और अधिक किसान इस दिशा में आगे बढ़ें.
प्रगतिशील किसान नरेंद्र चाहर का इंटरव्यू देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें- Link
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