भारत के किसान अब पारंपरिक खेती से हट कर गैर-पारंपरिक खेती को करना पंसद कर रहे हैं और इसमें सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं. देश के किसान कई तरह के फल और सब्जियों की खेती करते हैं, जिनमें अमरूद और आम भी शामिल है. ऐसे ही कुछ लातूर के औसा तालुका के एक सीमांत किसान विशाल ने अमरूद और आम की बागवानी करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. 26 वर्षीय विशाल 7 सदस्यों वाले परिवार में रहते हैं और 1.25 एकड़ जमीन पर अमरूद और आम की बागवानी करते हैं. आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में प्रगतिशील किसान विशाल के बारे में जानते हैं.
सालाना 3 लाख की कमाई
किसान विशाल ने बताया कि, उन्हें आर्ट ऑफ लिविंग की तरफ से 600 अमरूद के पेड़ और 50 आम के पेड़ दिए गए थे और प्राकृतिक इनपुट बनाना सिखाया गया था. वह 1.25 एकड़ में अमरूद की बागवानी करते हैं, जिससे सालाना लगभग 3 लाख रुपये का मुनाफा कमाते हैं. उन्होंने बताया, शुरूआत में वह बहुत उत्सुक नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगा कि अच्छी पैदावार होने में समय लगेगा. लेकिन जब आम और अमरूद के पेड़ लगाने का कदम कदम उठाया, तो महशूस हुआ कि यह उनका सबसे अच्छा निर्णय था.
फूलों का अच्छा कारोबार
किसान ने बताया कि, उनके क्षेत्र में किसान जलवायु संबंधी अनिश्चितताओं और लंबे समय से चले आ रहे सूखे के कारण केवल मौसमी फसलों की खेती करते हैं. इसके अलावा, जिन किसानों के पास पानी पहुचंता है, वह अपने खेतो में गन्ना उगाते हैं. गन्ने की मांग अधिक है और अन्य किसानों को पानी के अकुशल उपयोग के कारण नुकसान उठाना पड़ता है. विशाल फूलों का एक फलता-फूलता कारोबार करते है. उन्होंने बताया, ‘मेरा फूलों का व्यवसाय साल भर चलता है, लेकिन यहां मेरे गांव में किसान केवल मौसमी फसलों की खेती की जाती है बाकी टाइम ज्यादा काम नहीं रहता है’. किसान बताते हैं, कि मेरी स्थिति बदल गई है, अब मैं जो अतिरिक्त पैसा कमाता हूं, उससे ही अपने छोटे भाई को अच्छी शिक्षा देने के बारे में सोचा है. उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले भी लोन लिया है, लेकिन अब अतिरिक्त आय के बाद, भविष्य में लोन की कोई सायद कोई आवश्यकता नहीं होगी'.
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विशाल के पिता ने दी जानकारी
विशाल के पिता बालाजी माले ने बताया कि, “हमारे खेत में अमरूद और आम के पेड़ लगे हुए है, जिन्हें लगभग 2 साल हो गए है. उससे पहले हम अपने परदादा के जमाने से सिर्फ फूलों की खेती करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया, इन पेड़ों को अप्रत्याशित रूप से अधिक रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती और बहुत कम निवेश की ज़रूरत पड़ती है, इसलिए मेरे जैसा कोई भी किसान इसे आसानी से उगा सकता है और इनसे अच्छी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि, हर किसान को नए काम करने पर ध्यान देना चाहिए.
आर्ट ऑफ लिविंग से लाखों किसानों को मिला लाभ
लातूर में औसा तालुका लगभग तीन दशकों से गंभीर सूखे की चपेट में है. यहां जिस घर में पाइपों की संख्या ज्यादा होती है केवल उन्हें ही टैंकरों से अधिक जल प्राप्त होता है. यहां के स्थानिय लोगों के बीच टैंकरों की प्रतीक्षा लगातार बनी रहती है. जल संकट की वजह से लातूर में किसानों को मौसमी फसलों और एकल-फसलों की खेती करनी पड़ती है. यहां के किसान कम जानकारी और जोखिम से बचने के लिए प्राकृतिक खेती और कृषि वानिकी जैसी स्वस्थ, समग्र और उच्च उपज वाली विधियों को अपनाने से बचते आए है, जो जलवायु अनुकूल बनाते हैं. लेकिन अब लातूर के किसान उन्हें अपनी कृषि में शामिल करने में लाभ देख रहे हैं, क्योंकि अब वे उसी भूमि क्षेत्र में दस गुना लाभ कमाते हैं, जिसका श्रेय आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा लाखों किसानों को लाभदायक प्राकृतिक खेती में प्रशिक्षित करने की एक प्रमुख जागरूकता योजना को जाता है.
मॉडल के जरिए दिया गया प्रशिक्षण
किसान विशाल ने बताया कि, आर्ट ऑफ लिविंग के प्राकृतिक खेती प्रशिक्षकों ने उन्हें घर पर इनपुट बनाने के तरीके सिखाएं है. इसमें अमरूद कैसे उगाएं, उनका रखरखाव कैसे करें, इसकी पानी की आवश्यकताएं कितनी हैं और अमरूद कैसे लाभदायक और प्रभावी हो सकता है इसकी जानकारी दी गई है. इसके अलावा प्रशिक्षकों ने उन्हें सफल कामकाजी मॉडल दिखाए है और उन्हें विभिन्न प्राकृतिक उत्पादक सामग्री के उपयोग के द्वारा माइक्रोबियल मात्रा, कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस को बढ़ाने की तकनीक भी सिखाई है. किसान विशाल ने बताया कि, प्रशिक्षण मिलने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह अपनी भूमि का उपयोग करके 2 से 3 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. उनका परिवार वर्षों से पारंपरिक रूप से केवल फूलों की खेती करता रहा है, इसलिए इस प्रशिक्षण ने उन्हें लाभप्रद रूप से विविधता लाने के लिए प्रेरित किया है. उन्हें इस बात से अवगत कराया गया कि मिट्टी में कई पोषण संबंधी आवश्यकताएं होती हैं और विविध फसलें इन आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती हैं.
किसानों को दिया संदेश
किसान विशाल ने कहा कि, 'मैं सभी किसानों से अनुरोध करूंगा कि वे एकल-फसल पर अपनी निर्भरता को छोड़ दें. खासतौर पर यहां औसा में किसान केवल मानसूनी फसलें ही उगाते हैं. कृषि वानिकी हमें निर्भरता छोड़ने और किसानों को अधिक आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम बनाएगी. इस 3 लाख की अतिरिक्त कमाई ने मेरी जीवनशैली बदल दी है और अब मैं अपने परिवार के लिए बेहतर सोच सकता हूँ.'
किसानों की आय में 120% से ज्यादा की वृद्धि
आर्ट ऑफ लिविंग की जलतारा परियोजना के अन्तर्गत सिर्फ 2 वर्षों में 115 गांवों में 45,500 जलतारा पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे लाखों लोगों को इससे लाभ मिला है और यहां जल स्तर में औसतन 14 फीट का सुधार हुआ है. किसानों की आय में औसतन 120% से अधिक की वृद्धि हुई है और फसल की पैदावार में 42% से अधिक का सुधार हुआ है. महाराष्ट्र सरकार के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के अन्तर्गत आर्ट ऑफ लिविंग महाराष्ट्र में 1.3 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि पर हजारों किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी दे रहा है.
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