Success Story: बिहार के गया जिले के प्रखण्ड बोधगया से बगदाहा ग्राम निवासी 34 वर्षीय श्रीनिवास कुमार ने वर्ष 2009 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करके एक एथलीट के रूप में अपनी पहचान बनाई. लेकिन अचानक वर्ष 2010 में उनके पिताजी के मृत्यु हो जाने से पारिवारिक आर्थिक स्थिति खराब होने लगी और उन्हें घर की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी. किसान श्रीनिवास ने अपने पैतृक जमीन जोकि 10 एकड़ में हैं, इसमें पारंपरिक फसलें धान व गेहूं को पारंपरिक विधि से लगाना शुरू किया.
KVK के वैज्ञानिकों से किया संपर्क
कृषि की अधिक जानकारी ना होने और ज्ञान की कमी के कारण उत्पादन में कमी और आमदनी न होने से किसान श्रीनिवास काफी मायूस रहने लगे. फिर उन्होंने एक दिन केंचुआ खाद के बारे में सुना और विशेष जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर के वैज्ञानिकों से संपर्क किया. वहां केन्द्र के द्वारा केंचुआ खाद का प्रशिक्षण लेकर कार्य शुरू करने की सलाह दी गई. इस प्रकार वर्ष 2013 में बिहार सरकार से अनुदानित दर पर 24 पक्का वर्मीबेड और 100 सतही विधि में केंचुआ खाद बनाना शुरू किया.
सरकार की सहायता से शुरू किया केंचुआ खाद बनाना
केंचुआ खाद बनाने के दौरान किसान श्रीनिवास को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें केंचुआ खाद उत्पादन तकनीक की जानकारी का अभाव, सही से प्रबंधन की कमी, बाजार की कमी और उचित मूल्य न मिलना इत्यादि. वर्ष 2013 में किसान श्रीनिवास ने राज्य सरकार की सहायता से 24 पक्का वर्मीबेड और 100 सतही विधि में केंचुआ खाद बनाना शुरू किया. इस कार्य में कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर ने प्रशिक्षण व समय-समय पर आवश्यकतानुसार तकनीकी सहायता की जिस वजह से वह सफल केंचुआ खाद उत्पादक बन सके.
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पंजीकृत करवाया अपना फर्म
किसान श्रीनिवास अपना फर्म सत्यम ऑर्गेनिक नाम से पंजीकृत कराया और खाद की पोषकता को बढ़ाने के लिए जलकुम्भी (जो उनके फर्म के आस-पास में बहुतायत मात्रा में मिल जाता है) के साथ-साथ बायोफर्टीलाइजर का भी उपयोग करते हैं. केंचुआ के अलावा अन्य उद्यानिक फसलों से भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. 24 पक्का बेड और 100 सतही विधि से केंचुआ खाद उत्पादन शुरू करने से उनकी आमदनी में वृद्धि हुई जिससे प्रोत्साहित होकर अपनी बिक्री को और बढ़ाने के लिए बायोफर्टीलाइजर एवं अन्य का इस्तेमाल कर अच्छी गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन शुरू किया, और उनकी बिक्री बढ़ने से आमदनी में भी बढ़ोत्तरी हुई.
सलाना 20 लाख से अधिक है कमाई
किसान श्रीनिवास को वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री स्वरोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत वर्मीखाद उत्पादन के विस्तार और फूलों के नर्सरी व्यवसाय हेतु 10 लाख रुपये का आर्थिक सहायता मिली. वर्त्तमान में केंचुआ खाद के अलावा फूलों की नर्सरी का भी व्यवसाय कर जिला में अपनी अलग पहचान बनाई है. फिलहाल किसान श्रीनिवास गुणवत्तायुक्त केंचुआ खाद उत्पादन, फूलों की नर्सरी और गायपालन (10 गाय) से सलाना 20 लाख रुपये से अधिक का लाभ कमा रहे हैं. किसान को राजभवन, बिहार द्वारा आयोजित उद्यान प्रदर्शनी में द्वितीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
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