हिमाचल प्रदेश के शिमला में रहने वाली एक महिला अधिकारी की सोच कुपोषण से जंग लड़ रही है. गमले से निकली हुई पोषण की शाख न केवल उसके वजूद को मजबूत बनाने का कार्य करती है बल्कि कुपोषण भी अब उनके सामने हार मानने लगा है. इसका गवाह शिमला का शहरी क्षेत्र है जिसको कुपोषण मुक्त बनाने के लिए एसडीएम शहरी नीरजा चांदला ने बेहद ही नया तरीका ईजाद कर लिया है. उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों में गमले लगाकर कुपोषण का इलाज ढूंढ निकाला है. बता दें कि चांदला के इन सभी प्रयासों के चलते ही शहर और इसके आसपास के इलाकों में चल रहे 10 अंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या नाममात्र ही रह गई है. पहले यह संख्या 10 थी. इनकी नई शुरूआत से आंगनबाड़ी केंद्रों में ही किचन गार्डन को विकसित किया गया है. इससे केंद्रों की सुंदरता के साथ ही बच्चों के चेहरे पर रंगत दिखाई देने लगी है. कृषि विभाग के सहयोग के चलते आंगनबाड़ी केंद्रों में गमले उपलब्ध करवाए गए है और इन केंद्रों पर भिंडी, पालक, सहित अन्य तरह की पौष्टिक सब्जियां उगाकर आंगनबाड़ी केंद्रों में सब्जियों को परोसा जा रहा है.
सिर्फ तीन बच्चे है कुपोषित
आगनबाड़ी केंद्रों में पोषक भोजन और गर्भवती महिलाओं में जागरूकता के बाद अब केवल तीन बच्चे ही शिमला शहरी क्षेत्र में कुपोषण से ग्रस्त है. यह बच्चे भी किन्हीं कारणों से जन्म से पूर्व गर्भवती महिलाओं में रही कमियों के कारण कुपोषण का शिकार हुए है. अब इनकी देखरेख और पोषक भोजन और जागरूकता के बाद इनमें भी समय के साथ सुधार आने की उम्मीद है.
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू होगी योजना
नीरजा चांदला द्वारा शहरी क्षेत्र में कुपोषण मुक्त बनाने के लिए तैयार की गई योजना को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू किया जाएगा. महिला एवं बाल विभाग के सहयोग से गमले उपलब्ध करवाने के लिए आवेदन किया है. स्वीकृति के मिलते ही योजना आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू की जाएगी और साथ ही आगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए पौष्टिक आहार को तैयार किया जाएगा ताकि कुपोषण को भगाया जा सके.
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