जोखिम को जोखिम न समझ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी परिश्रम में भी डटे रहते हैं वो निखर जाते हैं अन्यथा टूट गए तो बिखर जाते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण समाज में देखे जा सकते हैं उनमें से ही एक बिहार स्थित भागलपुर के मालपुर गाँव के रहवासी सरिता देवी का है जो कि एक किसान परिवार में ताल्लुक रखती हैं परिवार का पारम्परिक पेशा कृषि होने के कारण पति पंडित विष्णुदेव खेती किसानी में लगे रहते थे, पति के साथ संगिनी के रूप में सरिता भी हमेशा खेती में हाँथ बटाती थीं, परन्तु परिवार के भरण पोषण के अलावा खेती से मुनाफा का नाँमों निशान नही था। खेती में कई बार हानि और प्राकृतिक आपदाओं के चलते सरिता ने कुछ अन्य व्यवसाय करने का सोंचा परन्तु हानि के डर से पति ने मना कर दिया लेकिन सरिता के जिद में डटे रहने से पति ने भी सरिता को कार्य के प्रति मदद करने की आश्वासन दिया। फिर क्या था सरिता कृषि विज्ञान केन्द्र भागलपुर पहुंचीं और अपनी आर्थिक स्थिति के रूबरू कराने के बाद कोई व्यवसाय करने की जानकारी लेनी चाही तो वैज्ञानिकों ने उन्हें महिला परक व्यवसायों की विधिवतृ जानकारी दीं और कृषि विज्ञान केन्द्र से जुड़ने को कहा, ताकि वैज्ञानिकों की तकनीकी मदद से वो अपने कृषि एवं पशु पालन को अधिक लाभकारी बना सकें।
प्रारम्भ में सरिता को समय की कमी के कारण कठिनाइंयों का सामना करना पड़ा परन्तु मन में कुछ करने की ललक से कोई भी रूकावट भी सरिता को आगे बढ़ने में रोक नही पाई। कृषि विज्ञान केन्द्र से फल सब्जी, सिलाई कढ़ाई व मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, जैसे कई प्रशिक्षण प्राप्त किए परन्तु सिलाई कढ़ाई और मशरूम उत्पादन में विशेष अभिरूचि होने से मशरूम उत्पादन का कार्य संचालित किया। हालांकि सरिता ने घर में सिलाई कढ़ाई का कार्य भी संचालित कर लिया जिससे हर महीने 4 से 5 हजार रूपए हर महीने आय होने लगी। साथ ही मशरूम उत्पादन कार्य में मेहनत की कोई कसर नहीं छोड़ी। सरिता बतातीं हैं कि पहले जहां आमदनी का कोई जरिया नहीं था वहीं अब 150 से 160 रूपए प्रति किलो की दर से मशरूम बेंच कर पर्याप्त आय प्राप्त हो जाती है। साथ ही अपने परिवार में पोषक आहार उपलब्ध हो जाता है। सरिता के इस साहस और कार्य के प्रति लगन पूरे गाँव समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोंत है। उन्होंने घर परिवार के विकास में पति के साथ कंन्धे से कंन्धा मिला कर चलने वाली महिला पर आज पूरे समाज के लिए गर्व की बात है।
इसी सफलता के साथ सरिता आत्मा भागलपुर के सम्पर्क में आई और जागृति कृषक हित समूह की सचिव पद प्राप्त किया। साथ ही गांव में सरिता मशरूम के लिए मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य कर रहीं है। प्रशिक्षण के लिए गांव में दो अन्य ग्रुप बनाएं गए जिसके माध्यम से अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। गांव में सरिता को देख अन्य महिलाओं का भी इस ओर रूझान बढ़ा है।
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