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12 साल पहले किए एक फैसले ने बदल दी रिंकू की किस्मत...

एक स्त्री प्राय: घरेलू काम तक ही सीमित रहती है, लेकिन किसी लक्ष्य को पाने की चाह अगर कोई कर ले तो उसे समाज की बेड़ियाँ ना तो बाँध सकती है और ना ही कोई उसे रोक सकता है. इसी तरह की कहानी है नालंदा की रहने वाली रिंकू देवी की, जो आज से लगभग 12 साल पहले कृषि से जुडी तो फिर पीछे मुड़ने का सोचा तक नहीं. रिंकू मशरूम उत्पादन करने के साथ साथ समेकित खेती का एक सफल मॉडल बनाकर जिले में अक अलग पहचान प्राप्त कर चुकी है.

KJ Staff
Mushroom
Mushroom Cultivation

एक स्त्री प्राय: घरेलू काम तक ही सीमित रहती है, लेकिन किसी लक्ष्य को पाने की चाह अगर कोई कर ले तो उसे समाज की बेड़ियाँ ना तो बाँध सकती है और ना ही कोई उसे रोक सकता है. इसी तरह की कहानी है नालंदा की रहने वाली रिंकू देवी की, जो आज से लगभग 12 साल पहले कृषि से जुडी तो फिर पीछे मुड़ने का सोचा तक नहीं. रिंकू मशरूम उत्पादन करने के साथ साथ समेकित खेती का एक सफल मॉडल बनाकर जिले में अक अलग पहचान प्राप्त कर चुकी है.

रिंकू ने पांचवी तक पढाई की है, और आज उनकी उम्र लगभग 40 वर्ष की है. 2006 में कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़कर उन्होंने मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त किया उसके बाद अपनी सहेलियों के साथ मिलकर उन्होंने यह काम शुरू कर दिया. उनका मशरूम आज पटना के बाजार तक आता है.

रिंकू के पास 62.5 डिसमिल जमीन है लेकिन हर साल वह तीन लाख रूपये तक बचा लेतीं है.

रिंकू अपनी जमीन में बागवानी के साथ-साथ मत्स्यपालन, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन के साथ कुछ अनाज की भी खेती करती हैं। इस छोटे से रकबे में समेकित खेती से वह अपना पूरा परिवार चलाती हैं. उनका कहना है कि उनके साथ काम शुरू करनेवाली कुछ महिलाएं तो पीछे छूट गईं लेकिन उससे ज्यादा संख्या में नई महिलाओं को प्रेरित कर उन्होंने खेती से जोड़ा. 

नतीजा यह है कि नालंदा जिले में मशरूम उत्पादन के साथ समेकित खेती से काफी संख्या में महिलाएं जुड़ गईं हैं.

English Summary: rinku mushroom farmer Published on: 25 April 2018, 03:46 AM IST

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