
Successful Farmer Story: राजस्थान के धौलपुर जिले के एक छोटे से गांव खानपुर मीणा के रहने वाले प्रगतिशील किसान मनोज कुमार मीणा की खेती की कहानी आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है. पीढ़ियों से खेती करते आ रहे इस परिवार में मनोज कुमार ने जब खेती की बागडोर संभाली, तो उन्होंने इसे एक नया रूप दिया. पोस्ट ग्रेजुएट और आईटीआई पास मनोज कुमार ने खेती को पारंपरिक तरीकों से निकालकर आधुनिक और मुनाफे वाला व्यवसाय बना दिया.
वे पिछले 15 वर्षों से खेती कर रहे हैं और लगातार प्रयोग करते हुए आज एक सफल किसान बन चुके हैं. उनके पास 40 बीघा खुद की जमीन है और 20 बीघा जमीन उन्होंने लीज पर ले रखी है. गेहूं, बाजरा, सरसों और तिल उनकी प्रमुख फसलें हैं. लेकिन जिस फसल ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई, वह है शक्ति वर्धक कंपनी का योद्धा प्लस बाजरा, जिसे वे पिछले 6 सालों से उगा रहे हैं.
खेती की शुरुआत और सोच में बदलाव
सफल किसान मनोज कुमार ने बताया कि जब उन्होंने खेती शुरू की थी, तो वह केवल एक पारंपरिक किसान थे. मिट्टी की जांच नहीं होती थी, बीज की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता था, और न ही सिंचाई व पोषण प्रबंधन की कोई ठोस योजना बनती थी. यही वजह थी कि मेहनत के बाद भी मुनाफा बहुत कम होता था. लेकिन समय के साथ उन्होंने जानकारी इकट्ठा की. इसके बाद उन्होंने जमीन के अनुसार फसल का चयन करना शुरू किया, और अच्छी कंपनियों के उन्नत बीजों का प्रयोग शुरू किया.
योद्धा प्लस बाजरा: एक नई शुरुआत
लगभग 6 साल पहले जब मनोज कुमार ने शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स कंपनी के योद्धा प्लस बाजरा का बीज पहली बार प्रयोग किया, तो उन्हें इसके नतीजे चौंकाने वाले मिले. उन्होंने देखा कि पौधों की लंबाई मध्यम थी, जिससे तेज हवा या बारिश में फसल गिरती नहीं थी. फुटाव बहुत अच्छा था, बालियां मजबूत और घनी थीं और सबसे खास बात - इसमें कोई रोग नहीं लगा. चारा भी मुलायम था, जिसे उनके पशु चाव से खाते थे.
पिछले वर्ष भी उन्होंने 40 बीघा में योद्धा प्लस बाजरा की खेती की, और प्रति बीघा 15–16 मन उत्पादन मिला (1 मन = 40 किलो). जब उन्होंने इसे मंडी में बेचा, तो ₹2200 से ₹2700 प्रति क्विंटल के भाव मिले. इस फसल से ही उन्हें लाखों रुपये की आमदनी हुई, साथ ही पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध हुआ.

योद्धा प्लस बाजरा: एक बेहतरीन विकल्प सफल खेती के लिए
सफल किसान मनोज कुमार मीणा के अनुसार, योद्धा प्लस बाजरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी फसल सिर्फ 80 से 90 दिनों में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है. इससे खेत जल्दी खाली हो जाता है और अगली फसल की बुवाई समय पर हो जाती है. यह किस्म लगभग 50 दिनों में ही पुष्पावस्था में आ जाती है, जिससे अनाज बनने की प्रक्रिया जल्दी शुरू हो जाती है. पौधों में घना फुटाव होता है और वे एकसमान रूप से मजबूत व स्वस्थ नजर आते हैं. यह किस्म रोगों के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधक होती है, जिससे दवाइयों और कीटनाशकों पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता. इसका सीधा लाभ मुनाफे में बढ़ोतरी के रूप में मिलता है. इसके अलावा, इसका चारा बहुत ही नरम होता है. कुल मिलाकर यह किस्म अनाज और चारे दोनों दृष्टिकोण से मेरे लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है.
सिंचाई और प्राकृतिक अनुकूलता
मनोज कुमार ने बताया कि योद्धा प्लस बाजरा खासतौर पर उन इलाकों के लिए अच्छा है जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है. मैं बाजरा की वर्षा आधारित खेती करता हूं. इस किस्म में सूखा सहन करने की अच्छी क्षमता है और हल्की बारिश में भी अच्छा उत्पादन देती है. इसके पौधे का तना इतना मजबूत होता है कि भारी बारिश और हवा में भी फसल टिक जाती है.
पशुपालन से अतिरिक्त आय
मनोज कुमार के पास 10 पशु हैं. वे योद्धा प्लस बाजरा के चारे को प्रमुख रूप से पशुओं के लिए उपयोग करते हैं. इससे दूध की मात्रा में बढ़ोतरी होती है और दूध बेचकर उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है. इस प्रकार एक ही फसल से उन्हें अनाज, चारा और पशुपालन में मदद मिलती है.
अन्य फसलों और बीजों का चयन
मनोज कुमार शक्ति वर्धक कंपनी का केवल बाजरा ही नहीं बल्कि गेहूं, सरसों और तिल की भी खेती करते हैं. वे शक्ति वर्धक कंपनी की गेहूं की सीरीज 1105 जैसे किस्म का प्रयोग करते हैं. उन्होंने सब्जियों में भी इस ब्रांड के बीजों से प्रयोग किया है और शानदार परिणाम पाए हैं. उनका कहना है कि “शक्ति वर्धक एक भरोसेमंद ब्रांड है, जिसने मेरी खेती को नया मुकाम दिया है.
सालाना आय और आर्थिक स्थिति में बदलाव
मौजूदा वक्त में मनोज कुमार खेती और पशुपालन से सालाना करीब 10 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में अच्छा बदलाव आया है. उनका मानना है कि “खेती कोई घाटे का सौदा नहीं है. बस सही बीज, सही तकनीक और मेहनत की जरूरत होती है. नई सोच, नई तकनीक और भरोसेमंद कंपनियों के साथ चलेंगे, तो हर किसान सफल हो सकता है.”
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