पंजाब की भठिंडा जिले के भोडी पुरा गांव की रहने वाली स्वर्णजीत कौर बराड़ ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत की और वह आज अपने गांव के लोगों के लिए एक मिसाल बन गई हैं. स्वर्णजीत ने मधुमक्खी पालन शुरु करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया और एक सफल मधुमक्खी पालक बन गईं.
कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में आने से पहले स्वर्णजीत कौर घर का काम करती थी, इनका परिवार कृषि से जुड़ा हुआ था. लेकिन जमीन की कमी के कारण अकेले कृषि से होने वाली आय से परिवार की जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं था. इसलिए स्वर्णजीत कौर कुछ ऐसा करना चाहती थीं जिससे परिवार की आमदनी बढ़े.
कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 8 साल पहले तीन बक्सों से मधुमक्खी पालन शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिलहाल इस समय उनके पास 150 से ज्यादा बॉक्स हैं. शहद की बिक्री के लिए उन्हें किसी खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. उनके द्वारा उत्पादित सारा शहद भोडीपुरा गांव और आसपास के गांवों में बेचा जाता है. उनकी इच्छा इस काम को और आगे बढ़ाने की है और इसलिए वह इस पेशे की और बारीकियां को सीख रही हैं. उनका बिना ब्रांड वाला शहद 300-350 रुपये किलो बिक रहा है.
केवीके के विशेषज्ञों ने उन्हें अपना शहद एक ब्रांड के तहत बेचने की सलाह दी जिससे उनकी आय में और वृद्धि हुई. स्वर्णजीत कौर बताती हैं कि जब उन्होंने इस पेशे की शुरुआत की थी तब उनकी कमाई पंद्रह सौ रुपये प्रति माह थी, फिर उन्होंने बाद में शहद को बड़े करीने से पैक करके बेचना शुरू कर दिया, जिससे उन्हें अपने उत्पादों की अधिक कीमत मिली और उनका मुनाफा भी बढ़ता चला गया. स्वर्णजीत कौर ने न केवल अपने परिवार को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया बल्कि अपने आसपास की महिलाओं को भी इस काम के लिए हमेशा प्रेरित किया.
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स्वर्णजीत कौर जैसी महिलाएं आज समाज की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो अपने परिवार की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में विश्वास रखती हैं. स्वर्णजीत कौर की सफलता की कहानी गांव के अन्य लोग खासकर छोटे किसानों को अपनी मेहनत से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करती है.
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