Success Story: किसानों के लिए बागवानी आज के समय में सबसे अधिक मुनाफे की खेती बनती जा रही है. देश के ज्यादातर किसान इसे अपने जीवन में अपनाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं. इसी क्रम में आज हम आपको ऐसे एक किसान के बारे में बताएंगे, जो अल्ट्रा हाई डेंसिटी प्लांटिंग मॉडल/ Ultra High Density Planting Model से बागवानी करके करीब 10 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. जिन किसान की हम बात कर रहे हैं वह जगमोहन राणा उत्तराखंड के उत्तकाशी जिले के चमरोहा गांव के प्रगतिशील बागवान हैं. उन्होंने बताया कि वैसे तो बागवानी उनका पुश्तैनी काम है और उनका पूरा परिवार बागवानी ही करता आया है. लेकिन, पिछले 8 सालों से वह आधुनिक तरीके से बागवानी कर रहे हैं. उनके पास बागवानी योग्य 40 नाली (उत्तराखंड में क्षेत्र मापन की एक ईकाई) जमीन है. इस हिसाब से देखें तो वह 2 एकड़ के करीब जमीन पर बागवानी करते हैं.
प्रगतिशील किसान जगमोहन राणा मुख्य तौर पर सेब की खेती/ Apple Farming करते हैं और उसी से उन्हें आय होती है. इसके अलावा उनके पास प्लम, आड़ू, नाशपाती और खुबानी के भी कई पेड़ हैं. जिससे उन्हें अच्छी उपज मिलती है.
पुश्तैनी बगीचे के सेब से मिल रहा अच्छा मुनाफा
किसान जगमोहन राणा के पास सेब के कई सारे बगीचे हैं. उनके पुश्तैनी बगीचे में 100 से ज्यादा सेब के पेड़ हैं, जो काफी बड़े हैं. इसी तरह उनके पास एक और बगीचा है, जिसमें स्पर वैरायटी के लगभग 150 पेड़ हैं. हालांकि, इनके पेड़ उतने बड़े नहीं है. जगमोहन राणा ने बताया कि 8 साल पहले उन्होंने आधुनिक बागवानी/ Modern Gardening की ओर रूख किया और अल्ट्रा हाई डेंसिटी के जरिए बागवानी की शुरुआत की.
उन्होंने अल्ट्रा हाई डेंसिटी रूटस्टॉक के कुछ पौधे लगाए, जो अच्छी फसल दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि बागवानी की इस पद्धति के जरिए कम जमीन पर ज्यादा पौधे उगाए जा सकते हैं. जिससे फसल भी अच्छी मिलती और मुनाफा भी ज्यादा होता है. आगे उन्होंने कहा अल्ट्रा हाई डेंसिटी रूटस्टॉक के जरिए 4 नाली जमीन पर सेब के 250 पौधे लगाए जा सकते हैं. उन्होंने भी सेब के करीब एक हजार पौधे लगाए हैं.
उन्होंने बताया कि उनके पास जो पुश्तैनी बगीचा है, उसमें मौजूद एक पेड़ से सेब की करीब दो पेटियां निकल जाती हैं. जिसका वजन लगभग 50 किलो के करीब होता है. लेकिन, पुश्तैनी बगीचे से निकलने वाले सेब की क्वालिटी और स्वाद में काफी फर्क रहता है. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा नहीं होता था. लेकिन, जब उन्होंने अल्ट्रा हाई डेंसिटी सेब की खेती शुरू की तो उन्हें अच्छे परिणाम मिले.
उन्होंने बताया कि इसमें भले ही सेब के पड़े छोटे हों और एक पेड़ से करीब 6 से 7 किलो सेब मिलता हो, लेकिन उस फल की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. उन्होंने बताया कि फल दिखने में भी अच्छा होता है और उनका स्वाद भी एक नंबर होता है. जिससे बजार में उनकी फसल को अच्छे दाम मिलते हैं और उन्हें अच्छा मुनाफा होता है. उन्होंने बताया कि सभी बगीचों से उन्हें सालाना सेब की 600 से 700 पेटियां मिल जाती हैं. जिससे उन्हें 7 से 8 लाख रुपये की सालाना आय हो जाती है. इसी तरह वह अन्य फलों जैसे प्लम, आड़ू, नाशपाती और खुबानी की लगभग 70 से 80 पेटियों का उत्पादन कर देते हैं. जिससे उन्हें डेढ़ से दो लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है.
उन्होंने बताया कि सभी फलों की खेती से उन्हें जो आय होती है, उसका 30 प्रतिशत खर्चे पर निकला जाता है. जबकि, 70 प्रतिशत के आसपास उन्हें मुनाफा हो जाता है. उन्होंने बताया कि बागवानी के अलावा सब्जियों और कई औषधीय फसलों की भी खेती करते हैं. जिसमें तुलसी, रोजमेरी, लेमन ग्रास, स्टीविया जैसी औषधीय फसलें शामिल हैं. इसके अलावा, वह तुलसी लेमन हर्बल चाय का भी उत्पादन करते हैं.
किसान जगमोहन का खेती से सालाना मुनाफा 10 लाख रुपये तक
जगमोहन राणा का फूड प्रोसेसिंग का भी बिजनेस है, जिसमें वह सी ग्रेड और बचे हुए फल-सब्जियों से आचार, जूस और चटनी जैसे उत्पाद तैयार करते हैं और फिर उन्हें बाजर में बेचते हैं. उन्होंने बताया कि इन सब उत्पादों को वह अपने ब्रांड यमुना वैली के नाम से बेचते हैं.
उन्होंने बताया कि मंडीकरण में उन्हें कोई विशेष दिक्कत नहीं होती है. क्योंकि, उनके पास फलों से लेकर अन्य उत्पादों की डिमांड आती रहती है. जबकि, वे मंडियों के जरिए भी अपनी फसलों की बिक्री करते हैं. इसी तरह फल और अन्य उत्पादों की खरीद के लिए व्यापारी उनके पास आते हैं. ऐसे में उन्हें अपनी फसलों और उत्पादों के मंडी करण के लिए परेशान नहीं होना पड़ता.
उन्होंने बताया कि फलों, सब्जियों, औषधीय फसलों सहित अन्य उत्पादों से उन्हें सालाना 20 से 25 लाख रुपये तक की आय हो जाती है. जिससे खर्चे निकालकर उनका प्रॉफिट 10 लाख रुपये तक हो जाता है.
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