रेशम उत्पादन के मामले में निचलौल ब्लाक के डोमा की रहने वाली पार्वती रेशम की खेती करने वाले अन्य किसानों के लिए मिसाल हैं। बेहतर उत्पादन की वजह से पार्वती को जिला प्रशासन से पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इन्होंने दो फसल में 48 किलो 300 ग्राम कोया का उत्पादन कर न सिर्फ सबसे अधिक कोया उत्पादन करने में सफलता पाई है बल्कि गरीबी उन्मूलन के लिए बेहतर विकल्प भी चुना है।
रेशम विभाग द्वारा रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने, कृषकों की गरीबी को दूर करने व उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभाग द्वारा पत्ती व कीड़ा उपलब्ध कराने का कार्य किया जाता है। इनमें से कुछ ग्रामीण सिर्फ विभाग का काम करते हैं तो कुछ ऐसे हैं जो विभाग के सहयोग के साथ अपने व परिवार के उन्नति के ²ष्टिगत पहल करते हैं। इन्हीं में से एक हैं डोमा की महिला किसान पार्वती देवी। गांव में रेशम फार्म में जब बड़ी मात्रा में किसानों को काम करते उन्होंने देखा तो उन्होंने भी परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए रेशम उत्पादन करने का फैसला किया। विभाग से संपर्क करने पर विभाग ने उन्हें सामग्री उपलब्ध कराई।
सामग्री मिलने के बाद पार्वती व उनके परिवार के सदस्यों ने रेशम उत्पादन की दिशा में कदम उठाया। परिणाम यह रहा कि पहली फसल के रूप में सितंबर माह में उन्होंने 25 किग्रा. 900 ग्रा. रेशम का कोया तथा दूसरी फसल के रूप में अक्तूबर में 22 किग्रा. 400 ग्रा. रेशम के कोया का उत्पादन किया। बेहतर रेशम कोया उत्पादन के कारण पार्वती को जिला प्रशासन ने पहला पुरस्कार प्रदान करते हुए उनका मनोबल बढ़ाया है, इसके साथ ही रेशम उत्पादन से जुड़े अन्य किसानों के लिए वह नजीर बन गई हैं। पार्वती का कहना है कि बिना लागत यदि मेहनत की बदौलत बेहतर आय हो रही है तो किसानों को इस क्षेत्र में आगे आकर गरीबी उन्मूलन के लिए पहल करनी चाहिए। पुरस्कृत होने से उनका उत्साह और बढ़ा है।
सहायक निदेशक रेशम रामरतन प्रसाद ने कहा कि पार्वती का जिले स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करना उसके मेहनत का परिणाम है। हर किसान को बेहतर रेशम उत्पादन की पहल करनी चाहिए। किसानों द्वारा उत्पादित रेशम के कोये को विभाग 300 रुपये प्रति किग्रा. की दर से खरीदता है।
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