लेट्यूस (सलाद पत्ता), गांठ गोभी, पत्ता गोभी, नारंगी हरे रंग की (ब्रोकली) गोभी, पुदीना, पालक, हल्दी, दो-तीन किस्म की मिर्च, टमाटर, बेलदार सब्जियों के अलावा कुष्मांड कुल की सब्जियां। बैंगन, प्याज, मिर्च, गोभी, गेंदा, गुलाब, टमाटर सहित अनेक सब्जियों एवं फुलवारी के पौधों की नर्सरी। क्या आप सोच सकते हैं यह सारा काम कितने बीघा में होगा? महज दो बीघा में कई तरह की सब्जियों के साथ पौध तैयार कर बेचकर एक परिवार साल में 5 लाख रुपए कमाई करता है।
इतने छोटे से खेत में पानी संग्रह के लिए छोटी सी पक्की डिग्गी, स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकल, पाइप्स के जरिए पौधों की बूंद-बूंद सिंचाई करते हैं चक दो ई छोटी के ओमप्रकाश घोड़ेला और उनका परिवार।
डिग्गी पर सोलर पंप, केंचुआ खाद तैयार करने का अलग से प्लांट। भूमि भी सबसे अलग, निराली। खेत का एक इंच भी बेकार नहीं जाने देते ओमप्रकाश। वे उन किसानों के लिए प्रेरणा दायक हैं जिनके पास बहुत छोटी जोत है।
बेलदार सब्जियां भूमि से ऊपर
ओमप्रकाश अपने खेत में बेलदार सब्जिया का उत्पादन जमीन से ऊपर लेते हैं। खेत की क्यारियों की मेड़ पर बांस-बल्लियां लगाकर बेलें उपर चढ़ा देते हैं। हरा पत्ता, सुगंधित पत्ता, सेलरी पत्ता, ब्रोकली जैसी महंगी सब्जियां की उपज का हुनर ओमप्रकाश ने पिता से सीखा। उनके खेत में मार्च-अप्रैल में पालक, दिसंबर-जनवरी में टिंडे और बारहमास पुदीना रहता है।
पौध तैयार करने का नायाब तरीका
वे खेत में पौध तैयार कर किसानों को बेचते हैं। उनकी नर्सरी में मिर्च, गोभी, टमाटर आदि की पौध तैयार की जाती है। इसके लिए वे प्लास्टिक की ट्रे में कोकोपिट डालते हैं। प्रत्येक खाने में एक या दो बीज डालते हैं।
ओमप्रकाश के मुताबिक, कोकोपिट ऐसा चूर्ण है जिसमें पौध अंकुरण शीघ्र होती है।
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