भारत का डेयरी उद्योग ज्यादातर महिलाओं द्वारा चलाया जाता है. महिलाएं नियमित रुप से घरेलू कामों के अलावा डेयरी और पशुपालन उद्योगों में लंबे समय तक योगदान दे रही हैं. ऐसे में पंजाब के फतेहगढ़ जिले में रहने वाली श्रीमती मनप्रीत कौर ने डेयारी उद्योग का व्यवसाय कर अपने लोगों के लिए एक मिशाल कायम कर दी है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि मनप्रीत कौर को डेयरी फार्मिंग का कोई ज्ञान नहीं था. उनकी शादीगांव दादेरा के एक किसान परिवार में हुई थी. परिवार अपनी जमीन पर गेहूं, धान और हरा चारा उगाता था, इसके अलावा उनके पास 3 दुधारू गायें थीं. लेकिन मनप्रीत कौर इस कमाई से संतुष्ट नहीं थीं और फिर उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा किया और वहां से सारी जानकारियां इकट्ठा की.
मनप्रीत कौर की समस्याओं को सुनने के बाद, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें अपने खेत से बेहतर और टिकाऊ दूध उत्पादन के लिए मौजूदा प्रबंधन प्रथाओं में सुधार के लिए तकनीकी कौशल प्रदान किया. उन्होंने गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना का भी दौरा किया और चाथमली से व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग से प्रशिक्षण प्राप्त किया और साहीवाल देसी नस्ल की 3 गायों के साथ अपने एक डेयरी फार्म को शुरू किया.
केवीके ने हर कदम पर मनप्रीत कौर की मदद की. इस व्यवसाय के शुरुआती वर्षों में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें जानवरों की देखभाल का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन समय के साथ, अपने दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और सीखने की उत्सुकता के कारण, उन्होंने अन्य साहीवाल गायों के साथ अपने ढिल्लों डेयरी फार्म का विस्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली.
वर्तमान में मनप्रीत कौर के पास 25 साहीवाल मवेशी हैं, जिनमें से 11 दुधारू मवेशी, 7 गर्भवती गाय, 5 बछिया और 2 बछड़े हैं. 12 गाय प्रतिदिन लगभग 120 किग्रा दूध देती हैं, उनकी एक गाय 18 किलो दूध देती है, जबकि दूसरी गाय 10 से 14 किलो दूध देती है.
ये भी पढ़ें: पंजाब की सविता रानी ने शुरू की मशरुम की खेती, बदली घर की आर्थिक स्थिति
महिला सशक्तिकरण में योगदान के लिए मनप्रीत कौर को कई सम्मान मिल चुके हैं. साल 2018 में, उन्हें उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पंजाब सरकार द्वारा परमान पत्र से सम्मानित किया गया था और महिला किसान दिवस समारोह के दौरान कृषि और किसान कल्याण विभाग, नई दिल्ली द्वारा भी सम्मानित किया गया था. आज के युग में जब पारंपरिक कृषि लाभदायक नहीं रह गई है, ऐसे में डेयरी फार्मिंग का सहायक व्यवसाय किसानों के आर्थिक स्तर को ऊपर उठाने में योगदान दे रहा है.
Share your comments