बंजर जमीन पर फिर से खेती करने का सपना तो हर किसान देखता है, लेकिन उस सपने को अपनी मेहनत व लगन से पूरा करना हर किसान के बस की बात नहीं होती है. आज हम आपको ऐसे ही एक सफल किसान की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर बंजर जमीन को हरा भरा कर दिया.
सगराजोर पंचायत के खैरवा गांव के आदिवासी किसान बागवानी व सब्जी की खेती कर अपनी तकदीर बदलने में जुटे हैं. ये किसान पहले काफी गरीबी में गुजर-बसर करते थे़ इनकी जमीन बंजर पड़ी रहती थी. इसके कारण इन्हें सालों भर मजदूरी करनी पड़ती थी. आज किसान बंजर जमीन पर सब्जी उगा कर हर दिन मुनाफा कमा रहे हैं.
नीड्स ने की सहायता
गांव के किसान सुनील मुर्मू व राजेंद्र मुर्मू ने बताया कि उनके परिवार की महिलाओं ने करीब 10 साल पहले नीड्स स्वयंसेवी संस्था से जुड़ कर एसएचजी का गठन किया था़ उसके बाद नीड्स के कार्यकर्ताओं ने उन्हें बंजर जमीन पर खेती के गुर बताये और लोगों को खेती के लिए प्रेरित किया़ उनकी प्रेरणा से गांव के लोगों ने सब्जी की खेती करनी शुरू की. सब्जी के खेती से आमदनी बढ़ती देख इसे व्यापक पैमाने पर शुरू करने का निर्णय लिया़ .
एक ही जमीन पर बागवानी व सब्जी की खेती
रोशनी व फूल एसएचजी की ललिता टुडू, सीता सोरेन, लोदगी मरांडी, ललिता मरांडी, हेलोनी मुर्मू, सोनामुनी टुडू, मकू मुर्मू आदि ने गांव के बाहर बंजर पड़ी साढ़े सात एकड़ जमीन पर बागवानी का फैसला किया. इसके बाद दो साल पहले उस जमीन पर 1060 आम के पौधे लगाये.
इस दौरान लोगों ने उसी जमीन पर सब्जी की खेती करने की सोची और वहां टमाटर, बंधागोभी, फुलगोभी, मिर्च व बैंगन का पौधा लगा दिया़ देखते ही देखते ही किसानों की मेहनत रंग लायी और उस बंजर जमीन पर सब्जी की बंपर फसल होने लगी. किसान राजेंद्र मुर्मू ने बताया कि दो सालों में करीब तीन लाख रुपये की सब्जी उन लोगों ने बेची है़ इसमें 45 हजार रुपये की मूली भी शामिल है़ बताया कि बड़े पैमाने पर सब्जी होने कारण पिक अप वैन में लाद कर इसे दुमका व रानीश्वर तक ले जाकर बेचा़ वहीं सुनील मुर्मू ने बताया कि नीड्स की प्रेरणा से उसने अपनी 20 कट्ठा जमीन पर पपीता का पौधा लगाया है़
किसानों को मनरेगा से मिली है सहायता
इन किसानों को मनरेगा से सहायता मिली है़ इनकी जमीन पर बागवानी की गयी है़ पौधों को बचाने के लिए ट्रेंच कटिंग की गयी है़ यहां के किसान फसल की पटवन करने के लिए करीब आठ सौ फीट की दूरी पर बहने वाली जोरिया में कच्चा चेकडैम बनाया है़ इससे वे पटवन करते हैं. किसानों ने कहा कि अगर सरकार उन्हें सिंचाई कूप या डीप बोरिंग उपलब्ध करा देती तो उन्हें खेती करने में और भी सहूलियत होती़.
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