यदि आप अपनी इच्छा के अनुसार कोई व्यवसाय चुनना चाहते हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि उसे करने के लिए परिस्थितियां आपके अनुकूल हों, आपको प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उस कार्य की शुरुआत करनी पड़ सकती है। कुछ इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करते हुए खेती करने वाले गुजरात के भरूच जिले के किसान जयेशभाई मोहनभाई पटेल की सफल कहानी भी यही कहती है। जयेश शुरुआत में व्यापार करते थे। खेती में अत्याधिक रुचि रखने के कारण व्यापार छोड़कर उन्होंने बंजर जमीन खरीद कर खेती शुरु की लेकिन बंजर भूमि पर किस प्रकार वह खेती कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे यह देखने के लिए सभी उत्सुक थे। अपने बुलंद इरादों और जज्बे के फलस्वरूप बंजर जमीन पर गन्ना एवं खजूर की सफल खेती कर सफलता की एक नई इबारत लिखी है। जयेशभाई ने परंपरागत तरीके से अधिक लागत के मुकाबले कम आय मिलने के कारण वैज्ञानिक तरीके से गन्ना एवं खजूर की खेती करने का मन बनाया। खेती में छोटी-मोटी बारीकियों जैसे खेत की अच्छे से तैयारी एवं फसल के लिए उपयुक्त भूमि की जाँच आदि पर भी ध्यान दिया। ऐसा करने से जयेश भाई को खेती में अच्छा लाभ प्राप्त हुआ।
उन्होंने टिशुकल्चर पद्धति द्वारा विदेश से आयातित खजूर की बारही किस्म के खजूर के पौधे लगाए। इस बीच राज्य सरकार ने भी खजूर की खेती के प्रोत्साहन के लिए उन्हें खजूर के प्रति पौधा 1250 रुपए अनुदान दिया। उनके अनुसार एक एकड़ में 70 से 80 पौधे लगाए जा सकते हैं जिनमें से प्रत्येक पौधे से लगभग 70 से 80 किलोग्राम फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
जयेशभाई का मानना है कि प्रदेश में वे 18 महीने के अंदर खजूर के फल प्राप्त करने वाले पहले किसान हैं। इससे इतर बाजार में उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त करने के लिए जयेश ने उत्पाद को अच्छे तरीके से ग्रेडिंग कर बाजार में बेचा। वहीं बात खेती में खाद एवं उर्वरकों के इस्तेमाल की करें तो उन्होंने रसायनों के प्रयोग कम करने के लिए जैव उर्वरकों का अधिक उपयोग किया। उनका मानना है ऐसा करने से तकरीबन 25 प्रतिशत तक रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल में कमी आई है। खेती में उनकी इस अभूतपूर्व सफलता के लिए उन्हें 2014-15 के लिए राज्य स्तरीय बेस्ट आत्मा अवॉर्ड दिया गया।
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