कमल के बारे में आम तौर पर सभी की यही धारणा है कि ये एक कीचड़ में खिलने वाला फूल फूल है. जबकि वास्तव में इसका फूल सामान्य खेतों या मटमैले पानी में भी उग सकता है. यहां तक कि आप इसे अपने घर में भी आसानी से लगा सकते हैं. पानी में उगने वाले इस फूल के तने लंबे, सीधे और खोखले होते हैं.
वैसे कमल का फूल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. व्यापार की दृष्टि से देखा जाए तो इसकी अच्छी-खासी मांग है. अगर यकिन नहीं आ रहा तो चलिए आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक किसान के बारे में बताते हैं.
मुरादाबाद के कांठ क्षेत्र में मोढ़ा तेहिया नाम का एक गांव है. यहां के किसान कमल की खेती के लिए जाने जाते हैं. इस फूल की खेती से आज यहां के लोग साधन- संपन्न हैं.
कई एकड़ में होती है खेती
इस गांव में कमल की खेती लगभग 32 एकड़ में होती है. कुछ लोगों के पास झील का ठेका है और जिनके पास नहीं है, वो अपने खेतों इसे उगाते हैं. यहां से कमल के फूल दिल्ली, बरेली, अलीगढ़, आगरा समेत राजस्थान, पंजाब और हिमाचल के क्षेत्रों में भेजे जाते हैं. मुख्य रूप से व्यापार थोक का है, तो उत्पादन भी बड़े स्तर पर ही किया जाता है.
त्यौहारों पर सबसे अधिक मांग
वैसे तो आम तौर पर कमल की मांग बनी ही रहती है, लेकिन त्यौहारों पर धूम मच जाती है. विशेषकर नवरात्रि पर तो इतना मुनाफा हो जाता है, जितना आम तौर पर अन्य फसलों से नहीं होता. यही कारण है कि यहां के स्थानीय किसान धान और गेहूं की जगह कमल को अधिक प्राथमिकता देते हैं.
खेतों में ऐसे उगाया जाता है कमल
कमल की खेती जुलाई-अगस्त के दौरान होती है. खेतों की जुताई करके उसमें कमल की जड़े लगाई जाती है. इसके बाद बीज बोने का काम होता है. दो महीनों तक खेतों में पानी भरा रहता है, ताकि पानी और कीचड़ का मिश्रण हो सके. अक्टूबर-नवंबर का माह कमल की कटाई का है. इसकी जड़ों में जितनी गांठे होती है उतना ही पौधा बाहर आता है.
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