अधिकतर छोटे किसान भूमि की कमी के कारण अपनी खेतीबाड़ी को सफल नहीं बना पाते हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में किसानों ने सामूहिक खेती कर एक मिसाल कायम की है. यह खेती कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों के सहयोग से सफल साबित हुई है. अब इस खेती से किसानों को लाभ भी मिलने लगा है.
सामूहिक खेती में मिली सफलता
जिले के भोंड गांव में करीब 173 किसानों की भूमि को मिलाकर 200 एकड़ भूमि बनाई गई है. किसानों को बड़े स्तर पर खेती करने में बड़ी सफलता हासिल हुई है. इस वक्त किसान वहां धान समेत कई अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं. पिछले साल भी बस्तर ब्लॉक के लामकेर में भी सामूहिक खेती की गई थी.
कृषि वैज्ञानिकों ने की मदद
किसानों का कहना है कि कृषि महाविद्यालय के कई वैज्ञानिकों ने मक्का, चना, गेहूं और सब्जियों की खेती करने में काफी मदद की है. उनके सहयोग से ही समय पर खेती हो पाई है, जिसका फायदा किसानों को मिला है. पिछले साल किसानों ने कम समय में अधिक फायदा देने वाली फसलों का चयन किया था. उन्होंने 30 एकड़ में मक्का, 25 एकड़ में चना, 20 एकड़ में गेहूं और 20 एकड़ में सब्जियों की खेती की थी. कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर ही किसानों ने पहली बार इतने बड़े रकबे में खेती की और उसका लाभ भी उठाया है. इस तरह की खेती भोंड गांव में भी किसानों ने की है. इस योजना में करीब 75 लाख रुपए की लागत लगती है, जिसका लाभ किसान जीवनभर उठा सकते हैं.
4 एकड़ भूमि को बना दिया 200 एकड़
कृषि वैज्ञानिकों ने सामूहिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित करने की योजना बनाई. इसके बाद उस भूमि का चुनाव किया गया, जहां किसान खेती न के बराबर करते थे. इस भूमि की सिंचाई के लिए इंद्रावती नदी के पानी का उपयोग किया गया. इसके साथ ही आवारा मवेशियों से नुकसान को रोकने फेंसिंग की व्यवस्था की गई. यह खेती छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है.
ये खबर भी पढ़ें: Paddy Crop: सरकार किसानों को धान की खेती न करने पर देगी 2 हजार रुपए, जानिए क्यों?
Share your comments