Success Story: पंजाब का फाजिल्का जिला अपनी फसल विविधता के लिए मशहूर है. इस जिले की यह पहचान यहां के मेहनती किसानों ने बनाई है. इसी गांव के रहने वाले रविकांत ने विविध खेती का मॉडल अपनाकर लोगों के लिए एक मिसाल पेश किया है. इन्हें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित फसल प्रतियोगिता में बेहतरीन फसल के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है. ऐसे में आइये जानते हैं इस किसान के सफलता के बारे में…..
खेती की शुरुआत
रविकांत अपने 20 एकड़ के जमीन में खेती के लिए पॉलीकल्चर मॉडल अपनाया. उनके द्वारा नरमा, बासमती, गेहूं, गोभी सरसों, चना और सब्जियां उगाई जाती हैं. इसके अलावा उन्होंने करीब 80 ताड़ के पेड़ भी लगाएं हैं. वह सबसे ज्यादा नरमा की खेती करते हैं. रवि कांत के अनुसार, नरमा एक दीर्घकालिक फसल है और इसमें पोषक तत्वों का खास ध्यान रखना होता है. इसके लिए वह हमेशा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की मदद लेते रहते हैं. उनका कहना है कि दवाओं को मिक्स नहीं करना चाहिए और बिना प्रिस्क्राइब की गई दवाओं का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.
पराली प्रबंधन
रवि कांत ने 8 एकड़ में नरमा की खेती की है जबकि 2 एकड़ में वह सब्जियों की खेती करते हैं और कुछ एकड़ में बासमती की खेती करते हैं. सब्जियों से उनकी कुछ दैनिक आय हो जाती है. रवि कांत का कहना है कि उनके द्वारा कभी भी पराली नहीं जलाई जाती है, बल्कि उसे खेत में ही मिला दिया जाता है, जिससे भूमि की उर्वरता लगातार बढ़ रही है. इसके अलावा वह अतिरिक्त पत्तियों को भी जमीन में मिलाकर जुताई कर देते हैं.
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पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का योगदान
रवि कांत पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और राज्य के कृषि एवं बागवानी विभाग से लगातार जुड़े हुए हैं. वह किसान विकास क्लब गांव बाजीदपुर कटियांवाली के अध्यक्ष भी हैं. वह बताते हैं कि उनकी इस सफलता की वजह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और वहां के कृषि वैज्ञानिकों का है. उन्होंने बताया कि वह क्लब के माध्यम से पराली जलाने वाली मशीनें भी खरीदी हैं और क्लब के सभी सदस्य पराली को जलाए बिना गेहूं की बुआई करते हैं.
रवि कांत का कहना है कि खेती में सफलता के लिए जरूरी है कि हम आधुनिक तकनीक को समझकर खेती करें. इससे कृषि खर्च कम कर हम अपनी आय की बढ़ोत्तरी कर सकेगें. विश्वविद्यालय से पुरस्कार मिलने पर जिले के उपायुक्त डॉ. सेनु दुग्गल ने भी रविकांत को बधाई दी और किसानों से अपील की कि वे ऐसे सफल किसानों की मदद से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग के मार्गदर्शन में खेती कर एक सफल किसान बन सकते हैं.
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