परिश्रम और तकनीक के बल बुते पर किसान कहीं पर भी अच्छी पैदावार से अधिक मुनाफा कमा कर अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं. ऐसे ही एक किसान मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के मोतीलाल पाटीदार हैं. जिन्होंने अपने सहपाठियों के साथ मिल कर अंगूर से शराब बनाने का एक यूनिट तैयार कर एक मिसाल हासिल की.
बता दें कि मोतीलाल पाटीदार की सोच ने आज कई परिवारों को रोजगार ही नहीं दिया है, बल्कि किसानों ने मिलकर बड़े बड़े उद्योगपतियों को टक्कर देना शुरू कर दिया है. जानिए, कैसे अंगूर उगाने वालों ने वाइन बनाने का काम शुरू किया. आइये जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.
कैसे आया विचार वाइन फैक्ट्री लगाने का (How Did The Idea Of Setting Up A Wine Factory Come About?)
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के मोती लाल पाटीदार अपने पिता के साथ अंगूर की खेती किया करते थे. लेकिन उन्हें अंगूर की खेती में कुछ ख़ास सफलता नही मिली. इस बीच उन्हें जानकारी मिली महाराष्ट्र सरकार ने ग्रेप्स पॉलिसी बनाई है. उसके बाद वो महाराष्ट्र के नासिक और उसके आस पास के इलाकों में वाइन ग्रेप्स की खेती और वाइनरीज को देखने पहुंचे. जहाँ से उन्होंने इस अंगूर वाइन की यूनिट लगाने की पहल की.
इस दौरान वे इस पॉलिसी को लेकर वो मध्यप्रदेश सरकार के पास गए, जहाँ उनकी इसकी मंजूरी मिली. उसके बाद उन्होंने 18 किसानों के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया और पटेल वाइन एंड फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री तैयार की. किसानों ने वाइन ग्रेप्स की फसल लगाई और यहां से फैक्ट्री डालने को लेकर प्रयास शुरू किए.
वाइन फैक्ट्री लगाने से मिल रहा मिल रहा है अच्छा दाम (Getting A Good Price By Setting Up A Wine Factory)
मोती लाल पाटीदार का कहना है की शुरुआत में हमे कुछ सैलून ताज ज्यादा मुनाफा नही हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे इससे वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वर्तमान में इस फैक्ट्री में 400 – 500 लोग अपनी आजीविका इस बिजनेस से चला रहे हैं. किसानों को उनकी मेहनत का अच्छा और दोगुना दाम मिल रहा है, जिनका सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से ऊपर हो चुका है. कंपनी 17 अलग-अलग ब्रांड बनाती है. जिनकी कीमत 250 रुपए बॉटल से 1200 रुपए प्रति बॉटल तक है.
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