नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) के चलते किसानों ने अपनी खेती को दोबारा उपजाऊ बना दिया है. इसमें कोई शक नहीं कि किसान प्राकृतिक खेती को अपना मिट्टी की गुणवत्ता (Improve Quality of Soil) को दोगुना कर रहे हैं. यही नहीं, कुछ किसान तो नेचुरल फार्मिंग के साथ मिश्रित खेती (Intercrop Farming) को भी अपना रहे हैं और एक ही जगह में कई तरह की फसल उगा रहे हैं.
किसान ने बढ़ाएं प्राकृतिक खेती की ओर अपने कदम (Farmers increase their steps towards natural farming)
इसी संदर्भ में नागपुर (Nagpur) से कुछ किलोमीटर दूर वर्धा (Wardha) के रहने वाले किसान नेचुरल और मिश्रित खेती को अपना रहे हैं. इन सभी किसानों को कमलनयन जमनालाल बजाज फाउंडेशन (Kamalnayan Jamnalal Bajaj Foundation) लगातार नेचुरल फार्मिंग सीखा रहा है और हर वो प्रयास कर रहा है जिससे किसान इसपर ज्यादा से ज्यादा ज़ोर दे पाएं.
मिश्रित खेती ने किसानों के जीवन में घोला रंग (Mixed farming mixed color in the lives of farmers)
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ऐसे में वर्धा के एक किसान सतीश मिश्रा (Progressive Farmer Satish Mishra) प्राकृतिक खेती के साथ मिश्रित खेती कर रहे हैं.
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इन्होंने अपने पौने एकड़ खेत में 10 तरह की फसलें लगाई हुई हैं जिससे उन्हें अच्छा ख़ासा मुनाफा हो रहा है.
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सतीश मिश्रा ने अपने खेती में संतरा, मौसंबी, अमरूद, पपीता, चीकू और ड्रैगन फ्रूट जैसे फलों की खेती की हुई है. साथ ही टमाटर, पालक, करेला और पत्ता गोभी जैसी सब्जियां भी उगाई हुई हैं.
मधुमक्खी पालन ने लगाए चार-चांद (Beekeeping Benefits)
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खास बात तो यह है कि इन्होंने अपने खेत में पेड़ों पर मधुमक्खियां भी पाली हुई है जिससे वह शहद (Honey Production) भी बेच रहे हैं.
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सतीश मिश्रा ने मधुमक्खी पालन (Bee keeping) के लिए अपने खेत में 80 फलों के पेड़ लगाए हुए हैं जिससे उनको खेती के अलावा शहद बेचकर दोगुना मुनाफा हो रहा है.
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मिश्रित खेती के फायदे (Advantages of intercrop farming)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मिश्रित खेती (Intercrop Farming) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसानों को अपने लाभ और मुनाफे के लिए किसी सीज़न का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है. बल्कि ऐसी खेती से किसानों को साल भर पैसों की कमाई होती है. थोड़े-थोड़े अंतराल पर किसान मिश्रित खेती कर ज़बरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सफल किसान सतीश मिश्रा का कहना है कि पहले वह पौने एकड़ के इस टुकड़े पर कपास (Cotton Farming) लगाते थे, जिससे वह सारे खर्च काटने के बाद सालाना 22-25 हजार रुपये तक की कमाई कर पाते थे. अब वह उसी खेत में मिश्रित खेती कर रहे हैं, जिससे एक से सवा लाख रुपये तक की कमाई होती है. वहीं शहद से भी कुछ न कुछ कमाई हो जाती है. यानी उनकी आमदनी पहले की तुलना में 4-5 गुना ज्यादा हो गई है, जो उनका जीवन बेहतर बना रही है".
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