नाम है सुमन कश्यप और उम्र है सिर्फ 21 साल, परंतु जज़्बा ऐसा कि बड़े से बड़ा व्यापारी भी चकित रह जाए।
दिल्ली के इंदिरा गांधी नैशनल सेंटर फॉर आर्ट्स में आयोजित हुए वुमन ऑर्गेनिक फेस्टीवल-2018 में शिरकत करने आई सुमन ने कृषि जागरण से बात करते हुए तमाम बातें साझा की और अपने उत्पादों के बारे में बताया।
बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली सुमन फिलहाल इग्नू से एम.कॉम द्धितीय वर्ष की छात्रा हैं और वह आगे एमबीए करने की इच्छुक हैं परंतु सुमन का कहना है कि वह ज़्यादा समय अपने व्यवसाय को ही देती हैं क्योंकि उनका मानना है कि किताबी ज्ञान तब तक सफल नहीं है जब तक उसका प्रयोग धरातल पर न हो जाए। सुमन को इस व्यवसाय में तीन वर्षों से अधिक समय हो चुका है और वह अभी तक मुंबई, दिल्ली, झारखंड और बिहार का दौरा कर चुकी हैं और उन्हें बहुत अच्छा रिस्पॉंस मिला है।
क्या है उत्पाद
सुमन के पास वैसे तो अधिक उत्पाद नहीं है क्योंकि उनका विश्वास क्वांटिटी नहीं क्वालिटी पर है। परंतु उनका एक ही उत्पाद दूसरे व्यवसायियों पर भारी है और वह है- शहद।
शहद एक ऐसा पदार्थ है जो हमें आसानी से मिल जाता है परंतु पिछले कुछ वर्षों से शहद को लेकर यह देखा गया है कि इसमें मिलावट उंचे स्तर पर हो रही है और सुमन का दावा है कि उनका शहद पूरी तरह ऑर्गेनिक यानी शुद्ध है और वह पूरे विश्वास के साथ इसकी गारंटी देती हैं। इसके अलावा सुमन के पास शहद के ही कईं प्रकार हैं यानी अलग-अलग फूल और उसके गुणों वाला शहद। सुमन इसके अलावा आवंला और लीची का शुद्ध जूस भी देती हैं, आंवला जूस के लिए आंवला को सुमन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आयात करती हैं और लीची तो बिहार में ही प्रचुर मात्रा में मिल जाती हैं और वह भी कईं किस्मों के साथ।
कैसे लिया स्टार्टअप फ़ैसला
सुमन का मन शुरुआत से ही बिज़नेस में रमता था, उन्होनें बताया की 11 वर्ष की आयु में ही उन्होंने यह तय कर लिया था कि उन्हें अपना भविष्य बिज़नेस में ही बनाना है परंतु उन्हें आवश्यकता थी तो किसी के साथ की और वह उन्हें मिला अपने चाचाजी के व्यवसाय के रुप में। सुमन के चाचाजी श्री संजय कश्यप एक संस्था चलाते हैं जिसका नाम है- कृष्णा अपेयरी।
वह इस संस्था के माध्यम से शहद और अपने दूसरे उत्पादों को बेचते थे और अब भी बेचते हैं परंतु अब सुमन ने उनका लगभग भार अपने कंधों पर ले लिया है और वह इस ज़िम्मेदारी पर खरी भी उतर रहीं हैं।
कितनी है कमाई
सुमन ने जब यह व्यवसाय संभाला तो उनके सामने चुनौतियों की कमी नहीं थी परंतु सुमन के हौसले के आगे चुनौतियों ने खुटने टेक दिए और आज सुमन जब भी अपने उत्पादों को लेकर किसी एक्ज़बिशन, मेले या ट्रेड फेयर में जाती है तो कम से कम 4 से 5 लाख की धनराशि का व्यवसाय अवश्य लाती हैं जो कि उनकी कुशलता का ही प्रमाण हैं।
क्या है रुकावट
इस समय सुमन की लगन ही है जो उनकी शक्ति बनी हुई है और जिस वजह से वह सफल हो रही हैं परंतु वर्तमान दौर तकनीक और ऑनलाइन का है और उसके बिना बिज़नेस तो किया जा सकता है परंतु रेवेन्यू पैदा करना मुश्किल है इसलिए फिलहाल सुमन अपने उत्पादों को कुरियर के ज़रिए ही भेज रहीं हैं पर हमारे साथ हुई वार्ता में सुमन ने बताया कि वह जल्द ही एक ऑनलाइन वेबसाइट से अपने उत्पादों को लोगों तक पहुंचाएंगी।
घर से मिलता है पूरा सहयोग
आज का समाज महिला को बराबरी का दर्जा दे रहा है परंतु फिर भी एक झिझक तो बनी ही रहती है। सुमन व्यवसाय के चलते एक राज्य से दूसरे राज्य जाती हैं अक्सर घर से दूर ही रहती हैं और जब हमनें उनसे पूछा कि घर-परिवार वाले चिंता तो अवश्य करते होंगें ? तो सुमन बड़े सहज भाव से मंद हंसी में कहती हैं कि नहीं बिल्कुल नहीं! घर से मुझे पूरा सहयोग है, जब भी घर से निकलती हूं तो मां या पिताजी सिर्फ इतना कहते हैं कि - ध्यान से जाना।
सुमन से मिलकर यह अहसास हुआ कि मन में लगन और कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा हो तो किसी भी मंजिल को पाना मुश्किल नहीं और सुमन की यात्रा यहां खत्म नहीं हुई है, कल यदि आपको सुमन किसी समाचार-पत्र या बिज़नेस पत्रिका में दिखे तो हैरान होने की आवश्यकता नहीं है
गिरीश पांडे, कृषि जागरण
Share your comments