पंजाब राज्य में गेहूं, मक्का, गन्ना, धान और बाजरे की खेती काफी बढ़े स्तर पर की जाती है. इसके अलावा कुछ किसान पारंपरिक फसल जैसे आलू, मटर, प्याज, गोभी और मूली जैसी सब्जियों की भी खेती करते हैं. इन फसलों की खेती से लोगों को बेहतर कमाई नहीं मिल पाती है. इनमें भटिंडा के रहने वाले जितेंद्र का परिवार भी शामिल था. भटिंडा के रहने वाले जितेंद्र का परिवार भी पारंपरिक खेती करता था और वे सरकारी कर्मचारी के रुप में कार्यरत थे. इस दौरान जितेंद्र को ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में पता चला और उन्होंने नौकरी छोड़ घर पर इसकी खेती करने का फैसला लिया.
ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती आमतौर पर पंजाब में नहीं की जाती है लेकिन जितेंद्र की मेहनत और लगन ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया. उन्हें शुरुआती दिनों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसकी खेती के लिए उन्होंने राज्य के कृषि विशेषज्ञों से बात की और काफी पढ़ाई लिखाई भी की. विशेषज्ञों से जानकारी हासिल कर तीन साल पहले अपनी पुश्तैनी जमीन में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की जिसमें आज उन्होंने सफलता हासिल कर ली है.
खेती में खर्च
ड्रैगन फ्रूट की बुआई फरवरी और मार्च के महीने में की जाती है. ड्रैगन फ्रूट की फसल दूसरी फसलों की तुलना में जल्दी तैयार नहीं होती है. इसे तैयार होने में कम से कम एक से दो साल का समय लगता है. ऐसे में इसकी खेती में समय और खर्च दोनों ही बहुत ज्यादा लगता है. इसकी एक एकड़ जमीन में लगभग पांच लाख रुपये का खर्च आता है.
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कमाई
भारतीय बाजार में इस फसल की कीमत काफी अच्छी मिलती है. बाजार में ड्रैगन फल की कीमत 600 से 800 रुपये प्रति किलो है. जीतेंद्र एक साल में अपनी उपज से 8 से 10 लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. इस फ्रूट का इस्तेमाल अधिकतर डेंगू के मरीज करते हैं. इसके अलावा लोग अपने बेहतर स्वास्थय के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं.
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