Success Story: उत्तर प्रदेश के अमरेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी शिक्षक की नौकरी छोड़कर खुद की 30 एकड़ की भूमि पर जैविक खेती का काम शुरु किया. आज वह हर साल लाखों की कमाई कर रहे हैं. इनकी खेती की सफलता को देख उनके गांव वाले भी अब जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं.
खेती की शुरुआत
अमरेंद्र प्रताप सिंह लखनऊ के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. वह स्कूल की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान हर साल अपने गांव जाया करते थे. उनका गांव लखनऊ से लगभग 30 किमी दूर बाराबंगी के दौलतपुर गांव में है, जहां उनकी पैतृक भूमि है. इस दौरान वह 2012 में गर्मी की छुट्टियों में घर वापस आए हुए थे और वहां फिर बड़े भाई की सलाह से उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर घर पर परिवार के साथ रहकर खेती करने का फैसला लिया.
कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था
अमरेंद्र गेहूं, चावल और दाल के अलावा फलों की भी खेती करते हैं. वह फल के साथ समय-समय पर हल्दी का भी उत्पादन करते हैं. इन फसलों को वह सुरक्षित रखने के लिए घर में ही कोल्ड स्टोरेज की व्सवस्था कर रखी है. इसके अलावा वह अनाज की सप्लाई के लिए खुद के ट्रक का बंदोबस्त कर लिया है. सब्जियों की फसल का जीवन काल काफी कम होता है, ऐसे में वह उत्पादन के दो से तीन दिनों में ही इन्हें जिले की मंडियों तक पहुंचा देते हैं.
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कमाई
अमरेंद्र बताते हैं कि 'खेती से होने वाली आय शिक्षण से होने वाली मासिक आय से कई गुना अधिक होती है. वह अब लगभग 11 साल बाद लगातार खेती करते हुए हर साल 30 लाख से अधिक रुपये की कमाई करते हैं. वह बताते हैं कि शुरुआत में रिश्तेदारों और उनके दोस्तों को खेती में लौटने का मेरा फैसला अजीब लग रहा था. उनको लगता था कि यह सरकारी नौकरी छोड़कर खेती करने वापस गांव आया है. यह तो एक बेवकूफी भरा कदम है. लेकिन मेरी सफलता के बाद आज वही लोग मेरी सराहना लोगों कर रहे हैं.
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