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मोती की खेती कर कमाए 4 लाख रुपए सालाना

अपनी चमक और गठन के कारण मोती बहुत मूल्यवान तथा दुनिया में सबसे अधिक मांगे जाने वाले रत्नो में से एक है। प्राकृतिक तौर पे मोती का निर्माण बाहरी कण जैसे रेत,कीट,आदि जब किसी सीप के भीतर प्रवेश कर जाते है। और सीप उनसे बाहर नहीं निकल पाता जिसके कारण उसके ऊपर चमकदार परतें जमा हो जाती है। एक दाता अयस्क से एक प्राप्तकर्ता खोल में ऊतक भ्रष्टाचार डालने से, एक मोती की थैली बनती है जिसमें ऊतक कैल्शियम कार्बोनेट से निकलता है। इस प्रक्रिया द्वारा मोती का निर्माण होता है।

अपनी चमक और गठन के कारण मोती बहुत मूल्यवान तथा दुनिया में सबसे अधिक मांगे जाने वाले रत्नो में से एक है। प्राकृतिक तौर पे मोती का निर्माण बाहरी कण जैसे रेत,कीट,आदि जब किसी सीप के भीतर प्रवेश कर जाते है। और सीप उनसे बाहर नहीं निकल पाता जिसके कारण उसके ऊपर चमकदार परतें जमा हो जाती है। एक दाता अयस्क से एक प्राप्तकर्ता खोल में ऊतक भ्रष्टाचार डालने से, एक मोती की थैली बनती है जिसमें ऊतक कैल्शियम कार्बोनेट से निकलता है। इस प्रक्रिया द्वारा मोती का निर्माण होता है।

हरियाणा में गुरुग्राम जैसी प्रतिकूल जगह पर एक शख्स ना केवल मोती कि खेती कर रहा है बल्कि सालाना 4 लाख भी कमा रहा है। गुरुग्राम के निवासी विनोद यादव ने तालाब बनाने के लिए अपना बैकयार्ड चुना और जमालपुर के अपने गांव में एक बिघा (या 1/5 वें एकड़) भूमि में मोती खेती करने का फैसला किया। वह संभवतः अपने शहर में एकमात्र मोती किसान है।

पेशे से एक इंजीनियर  विनोद ने शुरुआत में अपने 20x20 फीट चौड़े तालाब में मछली प्रजनन करने का मन बनाय जिसके लिए उन्होने 2016 में अपने चाचा सुरेश कुमार के साथ इस विषय पर औऱ अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए जिला मत्स्यपालन विभाग का दौरा भी किया। लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें इस विचार को छोड़ना पड़ा क्योंकि वह विरासत में प्राप्त भूमि के छोटे पैच में एक इकाई स्थापित करने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।

इसको देखते हुए  जिला मत्स्यपालन अधिकारी धर्मेंद्र सिंह ने उन्हें मोती की खेती पर विचार करने के लिए कहा और यादव को केंद्रीय जल संस्थान एक्वाकल्चर भुवनेश्वर में मोती संस्कृति में एक महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए भेजा।

धर्मेंद्र सिंह के अनुसार गुरुग्राम राज्य का पहला जिला है जिसने मोती की खेती की है। और अच्छे नतीजे देखने के बाद  अन्य जिलों में भी इस लाइन में निवेश करने की संभावना पर विचार किया जा रहा हैं। भारत में  मोती की खेती के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना की लागत लगभग  40,000 रुपए है। और खेती के एक सत्र की अवधि आठ से 10 महीने के बीच है।

 

भानु प्रताप
कृषि जागरण

English Summary: 4 lakh rupees annually by earning pearl farming Published on: 13 June 2018, 06:10 AM IST

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