भारतीय व्यंजनों में मसालों का अहम योगदान रहा है. विदेशों में भी भारतीय मसालों का इस्तेमाल खाने में काफी अधिक किया जाता है. देखा जाए तो देश-विदेश के बाजारों में हमेशा भारतीय मसालों की मांग बनी ही रहती है. ऐसे में अगर आप मसालों का बिजनेस शुरू करते हैं, तो इससे आप हर महीने अच्छी मोटी कमाई सरलता से कर सकते हैं. मसालों का व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले मसालों की यूनिट लगानी होगी. बता दें कि मसाले के बिजनेस में कम लागत आती हैं और मुनाफा कहीं अधिक होता है. आइए में आइए आज हम अपने इस लेख में मसालों के बिजनेस के बारे में विस्तार से जानते हैं कि इसे कैसे शुरू किया जा सकता है.
जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में लगभग सभी प्रकार के मसालों को उगाया जाता हैं. बता दें कि पहले घरों में ही मसालों को कुटा जाता था लेकिन अब लोगों के पास इतना समय ही नहीं हैं. ऐसे में अगर आप ठीक रेट पर अच्छी क्वालिटी का मसाला उपभोक्ताओं को उपलब्ध करायेंगे तो आपको बिज़नस में फायदा ही होगा.
मसाले के बिजनेस के लिए रजिस्ट्रेशन/How to Register for Spice Business
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आप अपनी मसाला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को छोटे स्तर पर लगायें या बड़े स्तर पर लेकिन इसके लिए आपको रजिस्ट्रेशन की सारी प्रक्रिया फॉलो करनी पड़ेगी. इस बिज़नस के रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस कुछ इस तरह से हैं-
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सबसे पहले आपको ROC का रजिस्ट्रेशन करना होगा. छोटे स्केल पर या घर से ही मसाला मैनुफैक्चरिंग शुरु करने पर आप ONE PERSON COMPANY भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
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आपको लोकल म्युनिसिपल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस भी लेना होगा.
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फूड ऑपरेटर लाइसेंस लेना भी आवश्यक है
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आपको BIS सर्टिफिकेट भी लेना होगा.
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CFTRI, Mysore ने एक तकनीकी दिशा निर्देश की जानकारी विकसित की है, जो AGMARK की सर्टिफिकेशन के लिए आवश्यक मानी जाती है.
मशीनरी और रौ-मटीरयल/Machinery and Raw-Material
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मसालों के प्रोडक्शन एरिया के लिए लगभग 75 स्क्वायर फीट के जगह की आवश्यकता होती हैं. पैकिंग एरिया और गोडाउन के लिए 150 स्क्वायर फीट की जगह होनी चाहिए. मसाले ग्राइंड करने के लिए और उन्हें प्रोसेस करने के लिए सिंपल मशीनरी और उपकरणों की आवश्यकता होती हैं.
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मसालों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए आपको डिस-इंटीग्रेटर इंस्टॉल कराना होगा. इसके साथ ही स्पाइस ग्राइंडर और पाउच सीलिंग मशीन की भी आवश्यता होगी.
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मसालों का भार तोलने के लिए वेट मशीन का होना भी आवश्यक हैं. इसके लिए आप पूरी तरह से आटोमेटिक मशीन भी ले सकते हैं. जिसमें ग्राइंडिंग, भार मापना और पैकिंग सब एक प्रोसेस में अपने आप होता रहेगा.
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कच्चे माल में आपको साबुत हल्दी, साबुत काली मिर्च, साबुत धनिये की जरूरत होगी. जितना अच्छा आपका कच्चा माल होगा उतनी ही अच्छी क्वालिटी आपके प्रोडक्ट की भी होगी.
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मसाले बनाने का प्रोसेस/Spice Making Process
मसाले बनाने के प्रोसेस में आपको साबुत मसालों को साफ़ करना फिर उन्हें सुखाना, साफ़ व सूखे हुए मसालों को भूनना और उन्हें छानना आदि को करना होता है. उसके बाद मसालों की पैकिंग का काम किया जाता हैं. फिर मसालों की सफाई मैन्युअली का काम किया जाता है. साबुत मसालों की सफाई में मसालों से कंकर या मिट्टी निकाली जाती हैं. फिर मसालों को धुप में सुखाया जाता है. उसके बाद मसालों को ग्राइंड किया जाता हैं. मसाले ग्राइंड करने की मशीन लगभग 85,000 रुपये में बाजार में मिल जाती है.
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