वर्तमान में बेरोज़गारी देश का सबसे बड़ा और ज्वलंत मुद्दा है. यह मुद्दा इतना अहम हो चुका है कि कोई भी राजनैतिक दल इस मुद्दे पर राजनीति करने से पीछे नहीं हटता. वर्तमान में देश का सबसे बड़ा वोटर युवा ही है और इसीलिए देश की वर्तमान राजनीति युवाओं के बिना या उनसे बचकर नहीं जा सकती. नेताओं के भाषण और जुमले भले ही आपको रोज़गार न दे परंतु आज हम आपको रोज़गार का एक बहुत कारगर और आसान तरीका बताने जा रहे हैं.
क्या है टेरेस गार्डनिंग
टेरेस गार्डनिंग का ट्रेंड आजकल खूब चलन में है. टेरेस गार्डनिंग में खेती घर की या ऑफिस की छत पर की जाती है. इस खेती में छोटे-बड़े थैले, बक्से या गमले लगाए जाते हैं, जिसमें संतुलित मात्रा में मिट्टी, खाद, पानी दिया जाता है. इस तरह की खेती खूब फल-फूल भी रही है और लोग इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
कैसे करें शुरुआत
टेरेस गार्डनिंग करने के लिए सबसे पहले आप यह देख लें कि आपके पास जो छत उपलब्ध है वह पर्याप्त है या नहीं, क्योंकि टेरेस गार्डनिंग में छत खुली और कुछ हद तक बड़ी होनी चाहिए. इसके बाद आप कुछ बेकार चीजों का प्रयोग कर सकते हैं. जैसे - सिनथैटिक थैले, लकड़ी और टीन के बक्से, कनस्तर या कुछ भी जिसमें पौधा लगाया जा सके व उसकी गुढ़ाई की जा सके.
इसके बाद पर्याप्त मात्रा में ज़मीन की 1 से 2 मीटर अंदर की मिट्टी निकाल लें व इसे प्रयोग करें. इसके बाद बीज या पौध लगाएं और उसमें थोड़ा पानी डाल दें. उसके बाद लगभग दो दिन तक पानी न डालें और दो दिन के उपरांत समयानुसार पानी डालते रहें. आप पाएंगें कि लगाया हुआ पौधा या बीज अब बढ़ने लगा है. अब जैसी देखरेख आप सामन्य पौधों की करते हैं वैसी ही इस पौधे की करें.
सूरज से ज़रा बचकर
टेरेस गार्डनिंग में एक बात बेहद आम और ध्यान देने योग्य है. वह है - सनलाइट.
सूर्य की रोशनी से टेरेस गार्डनिंग करने वाले अक्सर मात खा जाते हैं क्योंकि गर्मी में सूर्य की रोशनी टेरेस गार्डनिंग में लगे पौधों को नुकसान पहुंचा देती है और पौधा उतनी गर्मी झेल नहीं पाता जिस वजह से वह दम तोड़ देता है. इसलिए यह ध्यान देते रहना बेहद अहम है कि पौधों में जल की मात्रा कम न होने पाए और पौधों को आवश्यकता से अधिक रोशनी न मिल सके. इसलिए समय-समय पर पौधों का निरीक्षण करते रहना चाहिए.
आमदनी है दोगुनी
यदि टेरेस गार्डनिंग पूरी रणनीति के तहत की जाए तो यह आमदनी का बहुत आसान और बेहतर स्त्रोत है क्योंकि इस तरह की खेती में लागत कम आती है, साधन कम लगते हैं और सब कुछ खेती करने वाले के हाथ में ही होता है. वह अपने मनचाहे तरीके से इसे रुप दे सकता है. जैसे मिट्टी में परिवर्तन, खाद में परिवर्तन, कीटनाशक और दूसरे रसायनों में परिवर्तन आदि. इसके अतिरिक्त टेरेस गार्डनिंग में एक फायदा यह है सूर्य की किरणें बराबर मिलती रहती हैं.
नोट - टेरेस गार्डनिंग से संबंधित आगे की जानकारी के लिए आप हमारे अगले संस्करण को पढ़ सकते हैं.
गिरीश पांडे
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