देश में सरकार अक्षय ऊर्जा यानी ग्रीन एनर्जी (renewable energy green energy) को लेकर किसानों व आम लोगों को जागरूक करती रहती है. इस सिलसिले में राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर कई बेहतरीन योजनाएं भी चलाती रहती हैं.
ताकि लोग ग्रीन एनर्जी के बारे में जानकर इसका सही तरीके से लाभ उठा सके. आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बतायेंगे. जो केवल ग्रीन एनर्जी (green energy) से इस्तेमाल से अपनी जरूरतों को ही पूरा नहीं कर रहा बल्कि वह सरकार को भी बिजली की आपूर्ति दे रहा है.
200 स्केवयर फीट एरिया में ग्रीन एनर्जी पैनल (Green energy panels in 200 square feet area)
आपको बता दें कि यह कहानी मध्य प्रदेश के धार जिले में रहने वाले शिक्षक अभय किरिकरे की है, जिन्होंने साल 2021 सितंबर माह में अपनी घर की छत पर सोलर पैनल की स्थापना करवाई थी. उन्होंने करीब 200 स्केवयर फीट एरिया में ग्रीन एनर्जी के पैनल को लगवाया. जिसे लगवाने के लिए किरकिरे को 1 लाख 80 हजार रुपए खर्च करने पड़े.
अभय के मुताबिक, उनकी छत पर लगे सोलर पैनल से 11 माह में लगभग 3 किलो वाट की यूनिट से कुल 4 हजार 81.6 किलोवाट तक की बिजली का उत्पादन प्राप्त किया है. देखा जाए तो विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इस बिजली की कीमत करीब 32 हजार 652 रुपए तक है.
350 यूनिट तक हर महीने मिलती है बिजली (Up to 350 units of electricity is available every month)
इस सोलर पैनल के संदर्भ में जब शिक्षक किरकिरे से बात की गई है, उन्होंने बताया है कि हर एक व्यक्ति अपने पैसे बैंक में सुरक्षित जमा करके रखता है और फिर बैंक उसका आपको अच्छा ब्याज देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बैंक ब्याज से ज्यादा प्रॉफिट सोलर पैनल के जरिए से भी लिया जा सकता है. इसमें आप अपनी जरूरत के बाद बिजली को बिजली कंपनी को बेच दें, जो आपको अच्छा लाभ देंगे. इसके अलावा किरकिरे यह भी बताते हैं कि वह अपने इस सोलर पैनल से करीब 350 यूनिट हर महीने तक बिजली प्राप्त करते हैं.
इसमें से वह अपने इस्तेमाल के लिए 200 यूनिट तक बिजली खर्च कर देते हैं और बाकी बची बिजली यानी 150 यूनिट तक विविकं को दे देते है. जिससे उनको मुनाफा प्राप्त होता है. वह यह भी बताते है, कि विविकं में बिजली की प्रति यूनिट नीलामी की जाती है. जिसके कारण से व्यक्ति को उसकी बिजली के प्रति यूनिट के 1 से 2 रुपए दिए जाते हैं.
शिक्षक अभय के बारे में...
शिक्षक अभय किरकिरे अपने सादगीपूर्ण छवि और पर्यावरण अनुकूल अभियानों के लिए समाज में जाने जाते हैं. उन्होंने साल २०१५ में उत्कृष्ट विद्यालय धार से माटी के गणेश अभियान की भी शुरुआत की थी.
इनके इस अभियान ने शहर में काफी तेजी से तुल पकड़ा था, जिसके असर से प्लास्टर ऑफ पैरिस से बनने वाली मूर्तियों की बिक्रियां लगभग बंद हो गई थी.
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