राष्ट्रीय किसान मजदूर पार्टी व देश के 193 कृषक संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक वी एम सिंह ने पीलीभीत की सांसद मेनका गांधी की गन्ना किसानों को दी गई इस नसीहत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है जिसमें मेनका गांधी ने गन्ना किसानों की समस्याओं को सुनने की बजाय उन्हें यह कहकर गन्ना बोने से ही मना कर दिया कि इस देश को चीनी की जरूरत नहीं है ।
सिंह ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसमें पीलीभीत एक ऐसा जनपद है जहां गन्ना प्रमुख आर्थिक फसल है । शारदा तथा देवहा नदियों द्वारा प्रतिवर्ष बाढ़ से होने वाली बर्बादी के दौरान गन्ना ही एकमात्र ऐसी फसल है जो किसानों के आंसू पौंछने में अपना योगदान दे पाती है । उन्होंने कहा कि ऐसे में श्रीमती गांधी की कृषकों को दी गई नसीहत सांसद के कर्तव्यों से उनकी पूर्ण विमुखता का परिचायक है ।
उन्होंने कहा कि बीते 25 वर्षों से पीलीभीत के कृषक मेनका गांधी को वोट देते आ रहे हैं जबकि बदले में उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपमान मिला । दूसरी तरफ 25 वर्ष से अधिक समय से वह गन्ना किसानों के हित संरक्षण के लिए उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक कानूनी संघर्ष करते रहे हैं ओर समय समय पर कृषकों को उनके अधिकारों की सौगात दिलाते रहे है, जबकि वह किसी राजनैतिक पद पर नहीं हैं ।
उन्होंने कहा कि बीते एक वर्ष के दौरान कृषकों की समस्याएं बढ़ गई हैं क्योंकि वह पीलीभीत को समय नहीं दे सके । इसके कारण बताते हुए सिंह ने कहा बीते एक वर्ष से वह पूरे देश के किसानों के समस्त कर्जों की माफी व स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के अनुसार कृषि उपज का लाभकारी मूल्य निर्धारित किए जाने जैसे मुद्दों पर संघर्ष में व्यस्त रहे । अब वह देश की 21 राजनैतिक पार्टियों के साझा समर्थन के साथ किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने के लिए प्रयासरत हैं । उन्होंने कृषकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि वह शीघ्र पीलीभीत आएंगे ओर अन्नदाताओं को उनके अधिकारों से वंचित नहीं रहने देंगे ।
अब स्वयं किसान सोचें और फैसला करें कि गन्ना छुड़वाकर किसानों का चूल्हा बुझाने वाली सांसद को छोड़ेंगे या गन्ना लगाना छोड़ेंगे ?
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