बिहार के जमुई के एक गांव को सब्जी ग्राम के नाम से भी जाना जाता है जहां किसान कई नए प्रयोग से खेती कर मिसाल पेश कर रहे हैं. क्या आप जानते हैं कौन-सा है यह गांव? आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों खास है यह गांव...
दरअसल यह गांव है नीम-नवादा गांव जहां किसान कई सालों से परंपरागत खेती कर धान व गेहूँ उगाते थे. कम मुनाफे के चलते यहां के सभी किसानों ने परंपरागत फसलों की खेती करना छोड़ अब ब्रोकली, ग्रीन गोभी, रेड बंदगोभी, काली मूली की खेती कर दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं.
लाल व काली मूली भी
यहां के किसानों का मानना है कि विदेशी सब्जियों की डिमांड बड़े शहरों के रेस्त्रां व सितारा होटल्स में अधिक होती है जिससे हमें मुनाफा अधिक होता है. यही कारण है कि हम किसान भाइयों ने सोचा कि क्यों न परंपरागत फसलों की खेती छोड़ नया प्रयोग कर विदेशी सब्जियों उगाएं. यही कारण है कि हमारे गांव का नाम भी सब्जी ग्राम से मशहूर है. जमुई के सब्जी ग्राम के किसान ब्रोकली के अलावा चायनीज फूल गोभी, लाल बंदगोभी, लाल और काली मूली की भी पैदावार कर रहे हैं.
बाजार व्यवस्था नहीं, किसान निराश
खुद पहल कर यहां के किसानों ने आमदनी का बढ़िया जरिया जरूर खोजा है लेकिन बाजार की व्यवस्था न होने की वजह से उन्हें विदेशी सब्जियों को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है. यहां पर किसान फसल के उचित दाम न मिल पाने के कारण थोड़े हताश हैं. उनकी निराशा का कारण है कि जमुई में बाजार व मंडी की उचित व्यवस्था अब तक बिहार सरकार ने नहीं की है.
सरकार के वादे खोखले
सरकार दावा करती है कि किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा लेकिन यहां के किसानों को कोई फायदा नहीं मिलता है. यहां के किसान 300 एकड़ में सब्जी उगाते हैं लेकिन सस्ती दरों पर उन्हें सब्जी बेचनी पड़ती है.
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