कृषि क्षेत्र में भविष्य को बेहतर बनाने के लिए युवाओं को कृषि शिक्षा की ओर आकर्षित किया जा रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है. इसके लिए कृषि संबंधित विषयों के विभिन्न पहलुओं पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इसके साथ ही युवाओं के लिए बड़े स्तर पर जागरुकता कार्यक्रमों भी चलाए जा रहे हैं. आज के युवा कृषि क्षेत्र में अपना बेहतर भविष्य बना पाएं, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सक्षम प्राधिकारी ने हर साल 3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस (Agricultural Education Day) मनाने का फैसला किया था. आइए आपको बताते हैं कि हमारे देश में कृषि शिक्षा दिवस का क्या महत्व है?
कृषि क्षेत्र में भविष्य को बेहतर बनाने के लिए युवाओं को कृषि शिक्षा की ओर आकर्षित किया जा रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है. इसके लिए कृषि संबंधित विषयों के विभिन्न पहलुओं पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इसके साथ ही युवाओं के लिए बड़े स्तर पर जागरुकता कार्यक्रमों भी चलाए जा रहे हैं. आज के युवा कृषि क्षेत्र में अपना बेहतर भविष्य बना पाएं, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सक्षम प्राधिकारी ने हर साल 3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस (Agricultural Education Day) मनाने का फैसला किया था. आइए आपको बताते हैं कि हमारे देश में कृषि शिक्षा दिवस का क्या महत्व है?
क्यों मनाया जाता है कृषि शिक्षा दिवस?
साल 1946 में इस दिन भारत के पहले कृषि मंत्री डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था और स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति का भी जन्म हुआ था, इसलिए आज के दिन कृषि शिक्षा दिवस (Agricultural Education Day) मनाया जाता है. बता दें कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और वल्लभभाई पटेल जैसे भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रसिद्ध नेताओं में शामिल है. उन्होंने स्वयंसेवक के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1906 कलकत्ता सत्र में भाग लिया, तो वहीं साल 1911 में आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्हें AICC के लिए चुना गया. साल 1946 में उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री नियुक्त किया गया. उन्होंने एक नारा दिया था, 'ग्रो मोर फूड.
कृषि शिक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य
मौजूदा समय में स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए कृषि के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाया जाता है. इसके अलावा कृषि संबंधी पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों को शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. कृषि शिक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्रों को कृषि के पहलुओं के प्रति उजागर किया जा सके, ताकि देश का तेजी से विकास हो. इस दिन छात्रों को खेती करने के लिए प्रेरित किया जाता है. आज के समय में अधिकतर युवा कृषि क्षेत्र में रूचि भी ले रहे हैं.
भारत सरकार का अहम कदम
कृषि में स्थायी विकास के लिए कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार को मजबूत बनाया जा रहा है. इसके लिए कई पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों को लागू करना शुरू कर दिया है. हमारे देश में कई कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं, जिसके द्वारा छात्रों को बहुत अच्छी कृषि शिक्षा प्रदान की जाती है. आइए आपको इन कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेज के बारे में बताएं...
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), दिल्ली (Indian Agricultural Research Institute (IARI), Delhi)
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल (National Dairy Research Institute (NDRI), Karnal)
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU), कोयंबटूर (Tamil Nadu Agricultural University (TNAU), Coimbatore)
जी बी पंत युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (GBPUA & T), उत्तराखंड (G B Pant University of Agriculture and Technology (GBPUA&T), Uttarakhand)
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना (Punjab Agricultural University (PAU), Ludhiana etc.)
अगर किसी भी छात्र को कृषि शिक्षा के प्रति दिलचस्पी है, तो वह कृषि संबंधित नीचे दिए गए डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं.
अगर आपने 8वीं, 10वीं और 12वीं करने के बाद कृषि संबंधी डिप्लोमा या सर्टिफिकेट लेना चाहते हैं, तो आप इग्नू के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर (एसओए) से बी-कीपिंग और पॉल्ट्री फॉर्मिंग में सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं.
10वीं पास करने के बाद छात्र सेरिकल्चर, वाटर हार्वेस्टिंग एंड मैनेजमेंट के सर्टिफिकेट प्रोग्राम में दाखिला ले सकते हैं.
12वीं के बाद आप डेयरी टेक्नोलॉजी, फिश प्रॉडक्ट टेक्नोलॉजी, वैल्यू एडेड प्रॉडक्ट्स फ्रॉम फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स, मीट टेक्नोलॉजी, प्रॉडक्शन ऑफ वैल्यू एडेड प्रॉडक्ट्स फ्रॉम सीरियल्स, पल्स एंड ऑयल सीड्स का डिप्लोमा ले सकते हैं.
इसके अलावा एग्रीकल्चर में BSC (3 वर्षीय) और B.Tech (4 साल) का कोर्स भी कर सकते हैं. बता दें कि बीएससी में छात्रों को एग्रीकल्चर के फंडामेंटल प्रिंसिपल्स के बारे में पढ़ाते हैं, तो वहीं बीटेक में छात्रों को एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के प्रिंसिपल्स पढ़ाए जाते हैं. इसके बाद छात्रों को एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर, ट्रायल कॉर्डिनेटर एंड सेल्स ऑफिसर बनने के मौका मिल सकता हैं. इसके अलावा बीटेक के बाद छात्रों को जूनियर प्लांटेशन इंजीनियर, असिस्टेंट प्लांट मैनेजर, साइंटिस्ट, जूनियर रिसर्च फेलो आदि बनने का मौका मिलता है.
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