Who is Champai Soren: झारखंड में बीते दिनों एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला था. जब घोटाला मामले में जांच दायरे में आए हेमंत सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन का नाम सामने आया. अब चंपई सोरेन राज्य के नए मुख्यमंत्री हैं. लेकिन, राजनीति में उनका ये सफर आसान नहीं था. सरायकेला-खरसांवा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव में अपने पिता के साथ खेतों में काम करने से लेकर नए मुख्यमंत्री के रूप में नाम प्रस्तावित किए जाने तक का चंपई सोरेन का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. आइए आपको उनके राजनीतिक सफर से लेकर उनके झारखंड के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी बताते हैं.
कौन हैं चंपई सोरेन?
चंपई सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले स्थित जिलिंगगोड़ा गांव के रहने वाले हैं. उनका पिता का नाम सिमल सोरेन है, जो कि खेती किसानी किया करते थे. चंपई चार बच्चों में बड़े बेटे हैं. 10वीं क्लास तक सरकारी स्कूल से चंपई ने पढ़ाई लिखाई की. इस बीच उनका विवाह कम उम्र में ही मानको से कर दिया गया. शादी के बाद चंपई के 4 बेटे और तीन बेटियां हुईं.
'झारखंड टाइगर' के नाम से हैं मशहूर
उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत तब हुई, जब 1990 के दशक में बिहार से अलग झारखंड राज्य के गठन की मांग उठी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन के साथ ही चंपई भी झारखंड के आंदोलन में उतर गए. जल्द ही 'झारखंड टाइगर' के नाम से मशहूर भी हो गए. इसके बाद चंपई सोरेन ने अपनी सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया. चुनाव जीतने के बाद वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए थे और तब से वह पार्टी में बने हुए हैं. उन्हें शिबू सोरेन का वफादार माना जाता है. यही वजह है की उनका नाम मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया गया और आज वह राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
चंपई सोरेन का राजनीतिक सफर
चंपई सोरेन ने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी. इसके चार साल बाद उन्होंने झामुमो के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी उम्मीदवार पंचू टुडू को हराया था. सरायकेला सीट से ही 2000 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर वह बीजेपी के अनंत राम टुडू से हार गए थे. उन्होंने 2005 में, बीजेपी उम्मीदवार को 880 मतों के अंतर से शिकस्त देकर इस सीट पर फिर से अपना कब्जा जमाया था. चंपई ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी जीत हासिल की थी.
BJP सरकार में भी रह चुके हैं मंत्री
बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा की 2 साल, 129 दिन की सरकार में JJM (Jharkhand Mukti Morcha) नेता चंपई सोरेन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था और अहम मंत्रालय दिए गए थे. चंपई 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री रहे. इसके बाद राष्ट्रपति शासन लग गया था और फिर हेमंत सोरेन की अगुवाई में बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में चंपई सोरेन को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन मंत्री बनाया गया.
हेमंत सोरेन की सरकार में दूसरी बार बने मंत्री
वहीं, दूसरी बार 2019 में फिर से हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर चंपई सोरेन को परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाया गया था. चंपई JJM के उपाध्यक्ष भी हैं. धन शोधन के एक मामले में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और फिर उनकी गिरफ्तारी होने के बाद चंपई झामुमो विधायक दल के नए नेता चुने गए. जिसके बाद उन्होंने राज्य के अगले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
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