दुनिया में अनाज के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने 14 मई को बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद से सवाल उठने लगा था कि क्या हमारे देश भारत में गेहूं की कमी हो गई है. क्या गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के बाद किसानों की आय कम हुई है. ऐसे कई सारे सवाल उठने लगे थे. इन सब सवालों के जवाब हाल ही में केंद्रिय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिया है.
भारत में गेहूं का कोई संकट नहीं
22 जुलाई शुक्रवार को संसद में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जानकारी देते हुए बताया था कि देश में गेहूं का कोई संकट नहीं है और न ही किसानों की आय पर निर्यात प्रतिबंध का प्रतिकूल प्रभाव है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अपनी घरेलू जरूरत से ज्यादा गेहूं का उत्पादन करता है. इस दौरान उन्होंने इस बात की जानकारी भी दी कि घरेलू गेहूं की कीमतें निर्यात प्रतिबंध के बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर चल रही हैं. नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बात की जानकारी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के एक सवाल के लिखित जवाब में दी.
एक साल में गेहूं उत्पादन 106.41 मिलियन टन होने का अनुमान
नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस दौरान ये भी बताया कि सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, साल 2021-22 में देश का गेहूं उत्पादन 106.41 मिलियन टन होने का अनुमान है.
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हालांकि इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि सरकार का तीसरा गेहूं अनुमान पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है, लेकिन मंत्री ने कहा कि यह 2016-17 से पिछले पांच वर्षों (वर्ष 2016-17 से 2020-21) के दौरान प्राप्त औसत वार्षिक गेहूं उत्पादन 103.89 मिलियन टन से अधिक है.
गेहूं निर्यात पर रोक का किसानों पर क्या पड़ा असर?
नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए सरकार ने (13 मई को) गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. उन्होंने गेहूं के निर्यात पर रोक के संदर्भ में किसानों की आय को लेकर कहा कि इससे किसानों की आय पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद भी भारत के बाजारों में उन्हें अच्छा लाभकारी मूल्य मिल रहा है.
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