मौसम विभाग ने देर से ही सही लेकिन बाढ़ के पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए खोज कर ही ली । मौसम विभाग नए सिस्टम और मिट्टी के परीक्षण के आंकड़ों की मदद से बाढ़ की घोषणा भी कर सकेगा। आईएमडी के डायरेक्टर केजे रमेश ने कहा कि हम फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम की मदद से इस सर्विस को लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं। उम्मीद है कि अगले महीने से यह काम करना शुरू कर दे। बता दें की अभी तक केंद्रीय जल आयोग बाढ़ की घोषणा करता आया है।
मिट्टी की भूमिका
आईएमडी के डायरेक्टर केजे रमेश का कहना है की देश के अलग-अलग जगह में पाई जाने वाली मिट्टी का अध्ययन किया जाएगा और ये पता लगाया जाएगा कि वे कितना पानी सोखती हैं। इससे बारिश का पूर्वानुमान जारी करने के साथ ये भी पता चल सकेगा कि कितना पानी मिट्टी ने सोखा और नदियों, नालों और दूसरी जल प्रणालियों में पानी जाने के बाद कितना बाकी रह गया, जिसकी वजह से बाढ़ की स्थितियां बन सकती हैं।'
हर क्षेत्र के लिए अलग पूर्वानुमान
आईएमडी के डायरेक्टर का कहना है की "नए सिस्टम के जरिए हम अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग बाढ़ का पूर्वानुमान जारी कर सकते हैं। इसके लिए उनकी भौगोलिक स्थितियों के अध्ययन और वर्षा के पूर्वानुमान से मदद मिलेगी। इसके अलावा राज्य और जिला स्तर पर किसान संगठन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को भी बचाव के लिए उचित दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। अभी मौसम विभाग केवल भारी बारिश की चेतावनी जारी करता है। भविष्य में मिट्टी के परीक्षण के आधार पर बाढ़ का पूर्वानुमान भी जारी किया जा सकेगा। राजस्थान और मध्यप्रदेश की मिट्टी में सोखने की क्षमता ज्यादा है, यहां 10-20 सेंटीमीटर बारिश की वजह से बाढ़ आना मुश्किल है। लेकिन, उत्तराखंड जैसे राज्यों में जहां कि मिट्टी कम पानी सोखती है, वहां अगर इतनी ही बारिश होती है तो इसकी वजह से बाढ़ आ सकती है।"
वर्षा
source : A Leading Daily(Portal).
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