केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने पटना में पत्रकार वार्ता करते हुए सिंचाई, गंगा एवं भू-जल तथा नदी प्रबन्धन पर अपने विचार व्यक्त किए, जिनके बिन्दु इस प्रकार हैं| बिहार में गंगा पर हुई सिल्ट के लिए एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जा चुकी है तथा उसे रिपोर्ट को स्वीकृत करने से पहले जल संसाधन मंत्रालय अपने सचिव को 5 जून को मुख्यमंत्री बिहार के पास भेजेगा तथा मुख्यमंत्री बिहार के अनुरोध के अनुसार विषेषज्ञों का दल जल संसाधन सचिव के नेतृत्व में पटना से फरक्का तक स्थल निरीक्षण करेगा।
यह समिति एक वर्ष पहले ही बनाई जा चुकी है। भारत सरकार का यह पहला प्रयास है गंगा को गाद(सिल्ट) मुक्त करने की योजना, गंगा पर लागू करने के बाद अन्य नदियों पर भी लागू की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के तकनीकी विषेषज्ञ इस समिति में शामिल हैं तथा इस रिपोर्ट को लागू करते समय सभी को भागीदारी करनी पड़ेगी जिसमें केन्द्र सरकार के कुछ विभाग तथा राज्य सरकार को मिलकर सामंजस्य से यह काम करना होगा। फरक्का बैराज के बारे में माननीय मुख्यमंत्री बिहार की आशंका के बारे में प्रश्न के उत्तर में जल संसाधान मंत्री ने कहा कि विषेषज्ञों की राय ही इसमें अंतिम होगी।
2018 तक गंगा को निर्मल एवं सिल्ट से मुक्त करने के संबंध में एक प्रश्न के उत्तर में केन्द्रीय मंत्री जी ने बताया कि “गंगा की निर्मलता के लिए मैंने 10 वर्ष कहे हैं जिसके चरण मैंने इस प्रकार से हमेशा कहे हैं- 2 साल में निर्मलता के फेज-1 का प्रारंभ व इसके 2 साल बाद निर्मलता के फेस-1 का परिणाम तथा अविरलता एवं निर्मलता दोनों के लिए आगे चार या पांच साल और लगेगा। इस तरह से मिलाकर के दस वर्ष यही मैंने हमेशा कहा है।”जहां तक गंगा को गाद मुक्त करने की बात है यह सिर्फ जल संसाधन मंत्रालय का काम नहीं है इसको अंतर्देशीय जलमार्ग विभाग, पर्यावरण मंत्रालय, राज्य सरकारें तथा जल संसाधन मंत्रालय मिलकर करेंगे इसकी समय-सीमा नहीं बताई जा सकती।
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