लोकसभा चुनाव 2019 जितना नजदीक आ रहा है. राजनीतिक पार्टियां उतना ही किसानहित में लोक-लुभावन योजनाएं ला रही है. और योजनाओं के नाम पर सियासी जमीं पर अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हुई हैं. अभी हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से अंतरिम बजट पेश किया गया था. इस अंतरिम बजट में भी किसानहित में कई लोक-लुभावन योजनाओं की घोषाएं की गई थी. गौरतलब है कि बीते मंगलवार को तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी 'द्रमुक' ने अपने घोषणापत्र में छोटे और लघु किसानों के कृषि ऋण माफ करने का वादा करने के एक दिन बाद यानि बुधवार को कहा कि ‘राज्य के सभी वर्गों के किसानों को इसका लाभ मिलेगा’. हालांकि फिर भी तमिलनाडु के किसान अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए बैठे है. इसके लिए उन्होंने दिल्ली में 140 दिनों का अनशन भी किया था.
गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली में कई दिनों तक प्रदर्शन कर चुके तमिलनाडु (तिरुचिरापल्ली ) के किसान अब चुनावी समर में उतरने की तैयारी में हैं. इसके लिए वे वाराणसी लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी पेश करेंगे. बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यही से चुनाव से लड़ रहे है. पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तमिलनाडु के 111 किसान नामांकन दाखिल करेंगे. मीडिया में आई ख़बरों की मानें तो तमिलनाडु के किसान नेता पी अय्याकन्नू ने शनिवार को कहा कि राज्य के 111 किसान वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
“राष्ट्रीय दक्षिण भारतीय नदियां जोड़ो किसान संगठन” के अध्यक्ष अय्याकन्नू ने कहा कि ' यूपी से चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए किया गया है ताकि भाजपा से कहा जा सके कि वह अपने घोषणा-पत्र में इस बात को शामिल करे कि ‘फसल उत्पादों के लिए मुनाफे वाली कीमत’ सहित किसानों की अन्य मांगें पूरी की जाएंगी. अय्याकन्नू ने आगे बताया कि, ‘जिस क्षण वे अपने घोषणा-पत्र में सुनिश्चित करेंगे कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी, हम पीएम मोदी के खिलाफ लड़ने का अपना फैसला वापस ले लेंगे.’
अय्याकन्नू ने कहा कि चुनाव लड़ने के फैसले का हर जगह के किसानों और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने समर्थन किया है. उन्होंने आगे कहा कि, “तमिलनाडु से भाजपा के एकमात्र सांसद पौन राधाकृष्णन भी यदि यह वादा कर दें कि हमारी मांगों को घोषणा-पत्र में सम्मान मिलेगा तो हम अपने फैसले पर फिर से विचार कर सकते हैं.”
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