उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से अधिकतर लोग पलायन कर चुके हैं, इसका कारण वहा रोजगार साधन न होना ही माना जाता रहा है. लेकिन सरकार इसको रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. यहाँ के किसानों को अच्छी आय मिल सके इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने एक नयी शुरुआत की है. मंडी परिषद् उत्तराखंड जैविक बोर्ड के नाम से जैविक और नेचुरल मल्टी ग्रेन उतारने जा रही है. इसकी शुरुआत 5 करोड़ के रेवोल्विंग फंड से की जाएगी. मंडी परिषद् के रूद्रपुर स्थित मल्टीग्रेन प्लांट से इन उत्पादों की शोर्टिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग की जाएगी. इसी साल अक्टूबर से जैविक और नेचुरल मल्टीग्रेन को जर्मनी सहित कई विदेही बाजारों में उतारा जायेगा. इन उत्पादों में मुख्य रूप से चौलाई, मंडुआ, गहत, झिंगोरा और उड़द शामिल है. उत्तराखंड सरकार इसको और बढ़ावा देने के लिए अगले 10 सालों में 100 करोड़ का फंड बनाने जा रही है.
अब विदेशी बाजारों में छाएंगे उत्तराखंड के जैविक उत्पाद.
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से अधिकतर लोग पलायन कर चुके हैं, इसका कारण वहा रोजगार साधन न होना ही माना जाता रहा है. लेकिन सरकार इसको रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. यहाँ के किसानों को अच्छी आय मिल सके इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने एक नयी शुरुआत की है. मंडी परिषद् उत्तराखंड जैविक बोर्ड के नाम से जैविक और नेचुरल मल्टी ग्रेन उतारने जा रही है. इसकी शुरुआत 5 करोड़ के रेवोल्विंग फंड से की जाएगी. मंडी परिषद् के रूद्रपुर स्थित मल्टीग्रेन प्लांट से इन उत्पादों की शोर्टिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग की जाएगी. इसी साल अक्टूबर से जैविक और नेचुरल मल्टीग्रेन को जर्मनी सहित कई विदेही बाजारों में उतारा जायेगा. इन उत्पादों में मुख्य रूप से चौलाई, मंडुआ, गहत, झिंगोरा और उड़द शामिल है. उत्तराखंड सरकार इसको और बढ़ावा देने के लिए अगले 10 सालों में 100 करोड़ का फंड बनाने जा रही है.
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