उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ दल अपनी हर उस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने की जुगत में जुट चुकी है, जिससे की वे प्रदेश में अपना सियासी किला फिर से स्थापित कर सके. इस बीच प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले कुछ ऐसा ऐलान कर दिया है, जो कि अगर आने वाले दिनों में कारगर साबित हुआ तो त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के लिए सियासी दृष्टिकोण से फायदे का सौदा साबित हो सकता है. बता दें कि प्रदेश सरकार ने तकरीबन 10 हजार ग्राम प्रहरियों को नियुक्त करने का फैसला किया है. इसके लिए बकायदा प्रदेश सरकार की तरफ से 40 करोड़ रूपए मंजूर किए गए हैं.
विदित हो कि विगत दिनों नेशनल कैंपा एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इन ग्राम प्रहरियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी. गौरतलब है कि प्रदेश में इस वर्ष चुनाव होने जा रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार अपनी हर उस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने की जुगत में जुट चुकी है, जो कि आने वाले दिनों में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की जीत का सबब बन सके. सरकार की तरफ से प्रदेश में वन, खेती व बेरोजगारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों के मानदेय की घोषणा की गई थी. खैर, प्रदेश सरकार की तरफ से किए गए इन घोषणाओं का आगामी चुनाव में क्या असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रदेश सरकार में मंत्री हरक सिंह ने दावा करते हुए कहा कि इस योजना को सरकार की तरफ से मंजूरी मिल जाएगी. वहीं, मुख्य वनजीवी प्रतिपालक कहते हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से संबंधित प्रस्ताव के तहत इस योजना को मंजूरी मिल जाएगी.
वहीं मौजूदा सरकार में प्रदेश सरकार के मंत्री इस योजना के प्रति अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहते हैं कि समस्या यह है कि अब इस योजना के क्रियान्वयन में सिर्फ एक माह ही शेष है. बहरहाल, अब सरकार का लक्ष्य है कि किसी भी कीमत पर आगामी मार्च माह के आखिरी तक इस योजना का क्रियान्वयन हो जाए अन्यथा अगर ऐसा न हुआ तो प्रदेश सरकार के लिए स्थिति गंभीर हो सकती है.
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