सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में उर्वरक विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर) की नई यूरिया नीति-2015 की अवधि को 1 अप्रैल, 2019 से अगले आदेश तक विस्तार देने की मंजूरी दी गई. केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों को अब आसानी से यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. आइए जानें किसानों को और क्या-क्या फायदे मिल रहे हैं-
फॉर्म्युले में बदलाव
इस पॉलिसी के बाद यूरिया कंपनियों को सब्सिडी देने के फॉर्म्युले में बड़ा बदलाव किया गया है. यूरिया कंपनियों को लागत के आधार पर सब्सिडी देने की मंजूरी दी गई है. ऐसे में इस पॉलिसी से यूरिया सेक्टर में निवेश बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है. बता दे कि नई यूरिया पॉलिसी लागू होने से लागत के आधार पर सब्सिडी मिलेगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही आयातित मूल्य (इंपोर्टेड प्राइस ) की चिंता कम होगी.
घरेलू उत्पादन में बढ़त
किसानों के लिए यूरिया के 50 किलो बैग के मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है. नीम लेपित यूरिया के लिए किसानों को प्रति बैग 14 रुपये अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा.
अनुदान की बचत
इस नीति से ऊर्जा खपत के नए नियमों पर अमल करने और आयात की जगह दूसरे विकल्प अपनाने से अगले 4 साल के दौरान प्रत्यक्ष रुप से 2,618 करोड़ और अप्रत्यक्ष रूप से 2,211 करोड़ की अनुदान की बचत होगी. कुल मिलाकर 4,829 करोड़ की अनुदान बचत होगी।
अनुदान दरें कायम
केंद्र सरकार ने कॉम्प्लेक्स खाद डाइअमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) तथा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (एमओपी) के लिए अनुदान की दरों को कायम रखा है. डीएपी के लिए अनुदान की दर 12,350 रुपए और म्यूरेट ऑफ़ पोटाश के लिए 9,300 रुपये प्रति टन तय की गई है.
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