मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह खबर बहुत खास है. अब राज्य में छोटे और बड़े किसानों के बीच भूमि को लेकर भेदभाव नहीं होगा, क्योंकि अब राज्य में सभी किसान के पास बराबर की भूमि रहेगी. दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 15 नवम्बर, 1961 में सम्पूर्ण राज्य में कानून लागू किया गया था, जो कि मध्यप्रदेश कृषि खेतों की अधिकतम सीमा अधिनियम, 1960 है.
इसके तहत आवश्यकता से अधिक कृषि भूमि होने पर राज्य सरकार द्वारा ले ली जाती है. इसके बाद भूमि सरकार द्वारा भूमिहीन, गरीब, अनुसूचित और जनजाति या निर्धन व्यक्ति को दे दी जाती है. बता दें कि इस नियम का उद्देश्य राज्य में गरीब और भूमिहीन किसानों को भूमि देने के लिए बनाया गया है, ताकि वह अपनी आजीविका चला सकें.
कृषि भूमि की अधिकतम सीमा (Maximum Limit Of Agricultural Land)
दो फसल वाली सिंचाई युक्त कृषि भूमि होने पर (Having two crop irrigated agricultural land)
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यदि भूमि मालिक किसी परिवार का सदस्य हो, उसके पास अधिकतम 10 एकड़ भूमि होनी चाहिए.
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यदि परिवार में पांच सदस्यों से कम सदस्य हैं, तो उसके पास अधिकतम 18 एकड़ तक भूमि होनी चाहिए .
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और यदि परिवार के 5 सदस्यों से अधिक व्यक्ति हो, तो उसके पास अधिकतम 36 एकड़ तक भूमि होनी चाहिए.
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भूमि सूखी होने पर (When the Land is Dry)
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भूमि धारक किसी परिवार का सदस्य हैं, तब अधिकतम 30 एकड़ भूमि होनी चाहिए.
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परिवार के पाँच से कम सदस्य होने पर अधिकतम 54 एकड़ भूमि होनी चाहिए.
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परिवार में पाँच से अधिक सदस्य होने पर अधिकतम 108 एकड़ भूमि होनी चाहिए.
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कुल मिलाकर किसी भी स्थिति में सिंचाई युक्त जमीन 15 एकड़ और बिना सिंचाई उक्त जमीन 30 एकड़ से अधिक कोई किसान नहीं रख सकता है.
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