केंदीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने भू-जल में कमी की गंभीर समस्या के समाधान के लिए लोगों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आग्रह किया। जल संसाधन मंत्री आज उत्तर प्रदेश के नरोरा में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘’गंगा चौपाल’’ को संबोधित किया ।उमा भारती ने लोगों से पलाश और अशोक जैसे पेड़ों के पौध लगाने का आग्रह किया क्योंकि ये पेड़ भू-जल को रिचार्ज करते हैं। उमा भारती ने कहा कि ‘भारत में आप पवित्र तुलसी, पीपल तथा नीम के पौधे लगाते हैं, मैं आपसे पलाश एवं अशोक के पौध लगाने का आग्रह करुंगी क्योंकि इससे पेड़ से भू-जल के स्तर उठाने में मदद मिलती है। भू-जल के स्तर को ऊपर उठाना भारत की बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का समाधान करोड़ों रूपये खर्च किए बिना आर्थिक और पर्यावरण संगत तरीकों से निकाला जा सकता है।
शुरूआती में उन्होंने कहा कि भू-जल में कमी की समस्या पर विचार के लिए ग्रामीण विकास सचिव, जल संसाधन सचिव तथा पर्यावरण सचिव की एक समिति शीघ्र ही बनाई जाएगी। उन्होंने प्रदूषण को कम करने के लिए प्लास्टिक/पॉलिथीन बैग के इस्तेमाल से परहेज करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि गंगा नदी के प्रदूषण का प्रमुख कारण प्लास्टिक सामग्री का इस्तेमाल है और इसे रोका जाना चाहिए। उमा भारती ने कहा कि वह जल संरक्षण, वर्षा जल संचय तथा घाटों को स्वच्छ रखने के लिए एक जन आंदोलन शुरू करना चाहती हूं, जिसमें सेवा निवृत्त वरिष्ठ नागरिक विद्यार्थी तथा गृहणियां की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि विकास और परिवर्तन के लिए जन भागीदारी महत्वपूर्ण है। जल संसाधन मंत्री अभी गंगा सागर से गंगोत्री तक की तीन सप्ताह के गंगा निरीक्षण अभियान पर हैं ताकि वह नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति के बारे में व्यक्तिगत रूप से जान सकें। जल संसाधन मंत्री उत्तर प्रदेश के नरोरा पहुंची है और आज वहां से भृगु आश्रम तथा नजीबाबाद के रास्ते हरिद्वार जाएंगी।
गंगा बेसिन में कुल पुन:पूर्ति योग्य भू-जल संसाधन 170.99 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है। गंगा बेसिन में 433 बीसीएम के साथ देश के कुल पुन:पूर्ति योग्य भू-जल का 40 प्रतिशत है। वास्तविक भू-जल उपलब्धता 398 बीसीएम हैं। वार्षिक भू-जल ड्राफ्ट 245 बीसीएम (31 मार्च, 2017 को) और कुल 6607 मूल्यांकित इकाइयों (ब्लॉक, मंडल, जिला ) और 107 इकाइयां अत्यधिक दोहन वाली इकाइयां हैं। 217 गंभीर इकाइयां, 697 अर्द्धगंभीर ईकाइयां तथा 4530 सुरक्षित ईकाइयां हैं। इसके अतिरिक्त 92 ईकाइयां लवणयुक्त हैं।’
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