पड़ोसी बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति का असर कोलार के किसानों पर पड़ा है, जहां टमाटर की कीमतें गिर गई हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल के व्यापारी टमाटर को बांग्लादेश नहीं भेज पा रहे हैं. मालूम हो कि बेंगलुरु से 90 किलोमीटर दूर स्थित कोलार को एशिया में टमाटर की दूसरी सबसे बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता है और यह बांग्लादेश, इंडोनेशिया और कई भारतीय बाजारों में इस आवश्यक भारतीय खाद्य सामग्री की सप्लाई करता है. वही बांग्लादेश में नौकरियों के कोटे को लेकर अशांति देखी जा रही है, जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें भागना पड़ा. अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भी हिंसा जारी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के व्यापारियों ने टमाटर की खरीद में लगभग 50% की कटौती कर दी है. जिस वजह से निर्यात-गुणवत्ता वाले, प्रथम श्रेणी के टमाटरों की कीमतों में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है. 15 से 20 किलो वजन वाले इन टमाटरों का एक डिब्बा आमतौर पर 1,100 से 1,200 रुपये में बिकता है. अब, बांग्लादेश के रास्ते में स्थानीय बाजारों में इन्हें 450 से 500 रुपये प्रति डिब्बा बेचा जा रहा है.
किमतों में गिरावट से किसान परेशान
कोलार के एक किसान के मुताबिक, हर दिन कोलार से बांग्लादेश में टमाटर से भरे करीब 40 ट्रक भेजे जाते हैं, जिनमें से हर ट्रक में करीब 900 डिब्बे होते हैं. राजनीतिक तनाव शुरू होने के बाद यह संख्या घटकर 20 ट्रक रह गई है और पिछले एक हफ्ते से सभी शिपमेंट रोक दिए गए हैं. अब हमें रास्ते में पड़ने वाले बाजारों में टमाटर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यह हमारी आजीविका का सवाल है."
बांग्लादेश को निर्यात करने वाले एक अन्य किसान ने कहा कि निर्यात-गुणवत्ता वाले ये टमाटर, जो आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में लगभग 35 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बिकते हैं, अब बांग्लादेश के रास्ते में पड़ने वाले आंध्र प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे बाजारों में मात्र 8 से 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहे हैं.
उन्होंने कहा, "यहां तक कि पश्चिम बंगाल के व्यापारियों ने कोलार टमाटर की खरीद में करीब 45 फीसदी की कमी कर दी है, जिससे नुकसान और बढ़ गया है. जब हम स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले टमाटर बेचते हैं, तो उपभोक्ता उचित कीमत देने को तैयार नहीं होते."
किसानों का कहना है कि एक एकड़ जमीन पर टमाटर की खेती करने के लिए 1-2 लाख रुपये का निवेश करना पड़ता है. अगर फसल अच्छी हो, तो वे प्रति एकड़ लगभग 250 बक्से की उपज की उम्मीद कर सकते हैं. हालांकि, जब टमाटर की कीमतें 200 रुपये प्रति बॉक्स (लगभग 13 रुपये प्रति किलोग्राम) तक गिर जाती हैं, क्योंकि वे बांग्लादेश जैसे बाजारों तक नहीं पहुंच पाते हैं - तो कीमतें और भी गिर जाती हैं.
फसल के नुकसान के कारण एक महीने पहले भारतीय बाजारों में टमाटर की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गई थी, लेकिन अब कीमतों में संतुलन देखने को मिल रहा है. हालांकि, बांग्लादेश संकट के कारण टमाटर की कीमतें न केवल गिर गई हैं, बल्कि किसानों को भारी नुकसान भी हुआ है.
सफेद मक्खी का हमला
महाराष्ट्र के नासिक के बाद एशिया में दूसरे सबसे बड़े बाजार कोलार में टमाटर की फसल को हाल ही में घातक सफेद मक्खी के हमले का सामना करना पड़ा, जो पत्ती कर्ल रोग फैलाती है, जिससे क्षेत्र में टमाटर की खेती को व्यापक नुकसान हुआ है. इससे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और इंडोनेशिया के बाजारों में आमतौर पर भेजे जाने वाले टमाटर की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
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