देश में जब किसानों की आय बढ़ाने की बात हो रही हो तो चर्चा नई तकनीकियों व अच्छी गुणवत्ता वाले हायब्रिड बीजों की होती है। लेकिन यह जानकर भी लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं कि इस दौर में भी कुछ लोग परंपरागत खेती या जैविक खेती को अपनाकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहें हैं। छत्तीसगढ़ के एक किसान हैं रामलाल भतपहरी, जिन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर नई चीज सोचने का बेड़ा उठाया और खुद ही एक अपने नाम से ही धान की किस्म विकसित कर डाली और आज उनकी यह किस्म देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रचलित हो रही है। उन्होंने भतपहरी चावल की अनेक किस्में चलन में ला दी हैं। यही नहीं एक समिति के द्वारा कई सारे किसानों को जोड़ भी रखा है। इस बीच लोगों में उनकी इन किस्मों की बुवाई के लिए व खरीद के लिए मांग बढ़ गई है।
देश से दूर विदेशों में भी उनकी यह किस्म प्रचलित है। भतपहरी किस्म खाने में बड़ी ही स्वादिष्ट और सुगंधित है। बात तो यह रोचक है कि यह घर की रसोई में ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े होटलों में खाने की थाली में स्वाद और खुश्बू बढ़ा रही है। इसका उदाहरण दुबई का हयात होटल ही है जहां यह काफी प्रचलन में हैं।
बात अगर रामलाल की किसानी की जाए तो वह जैविक खेती आधारित तरीकों को अपनाते हैं। छत्तीसगढ़ में कोड़ेबोड़ गांव में वह अपने खेतों में उद्दानिकी विभाग के सुझाव अनुसार वह जैविक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। ऐसा कर वह उन लोगों के मुंह भी बंद कर रहें हैं जो यह कहते हैं कि जैविक खेती करके आप इतनी बड़ी जनसंख्या का पेट कैसे भर पाएंगें। क्योंकि राज्य के बड़े अधिकारियों से लेकर मंत्रियों के घर भी यही चावल बनता हैं। भतपहरी चावल की विशेषता है कि वह बहुत जल्दी पकता है साथ ही रामलाल ने इस प्रजाति में खुश्बू बढ़ाने के लिए जीन विकसित किए हैं। साथ ही चावल में कार्बोहाइड्रेट व जिंक की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। इसके अतिरिक्त इस किस्म के चावल में काफी औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कि डायबिटीज़ जैसे रोग में फायदा करते हैं, इस बात का समर्थन स्वयं वैज्ञानिक भी करते हैं।
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