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मसूर की इस प्रजाति से मिलेगा अधिक उत्पादन

मसूर दाल की खेती लगभग देश के सभी राज्यों में की जाती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से मसूर की खेती की उत्पादकता में ठहराव आया था. इसकी फसल को तैयार होने चार से साढ़े चार महीने का समय लग जाता है. ऐसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने मसूर की नई प्रजाति पूसा L4717 विकसित किया है। इस दलहन में ख़ास बात यह है इसकी फसल 100 दिन में तैयार हो जाती इसका उत्पादन भी 13 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक निकलता है।

 

मसूर दाल की खेती लगभग देश के सभी राज्यों में की जाती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से मसूर की खेती की उत्पादकता में ठहराव आया था. इसकी फसल को तैयार होने चार से साढ़े चार महीने का समय लग जाता है.  ऐसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने मसूर की नई प्रजाति पूसा L4717 विकसित किया है। इस दलहन में ख़ास बात यह है इसकी फसल 100 दिन में तैयार हो जाती इसका उत्पादन भी 13 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक निकलता है। प्रोटीन और आयरन की प्रचुरता वाली मसूरी की इस प्रजाति को विकसित करने में कई सालों से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि वैज्ञानिक लगे हुए थे। इसी साल इसका फिल्ड ट्रायल करके इस बार के रबी सीजन के लिए इस प्रजाति को लांच किया है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में यह प्रजाति अच्छा उत्पादन देगी. 

ज्ञात रहे अक्टूबर के मध्य से मसूर की बुवाई शुरू हो जाती है. मसूर की खेती के लिए बीजोउपचार भी जरूरी होता है। इसके लिए 10 किलोग्राम बीज को मसूर के एक पैकेट को 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए. मसूर में बहुत कम सिंचाई लगती है. यह नयी प्रजाति ऐसे स्थानों जहाँ पर पानी की कमी होती है, ऐसे स्थानों पर यह प्रजाति कारगर है. यह जानकारी कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने ट्विटर पर शेयर की.

English Summary: This species of lentil will yield more Published on: 18 October 2017, 06:38 AM IST

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