आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी जमीं पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सभी राजनीतिक दल अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं. हाल ही में मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण का लाभ देकर बड़ा चुनावी मास्टर स्ट्रोक खेला है. आरक्षण का लाभ देने के बाद अब मोदी सरकार किसानों, बेरोजगारों और गरीबों के लिए खजाना खोलने जा रही है. मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक, केंद्र सरकार अगली कैबिनेट बैठक में सभी तरह के किसानों, बेरोजगारों और गरीब लोगों को एक मुश्त 30 हजार रुपये की मदद देने का फैसला कर सकती है. यह बैठक मकर संक्रांति के एक दिन बाद यानि 16 जनवरी को होगी. अगर कैबिनेट इस योजना पर मोहर लगा देती है तो सवर्ण आरक्षण के बाद यह सरकार का एक और मास्टर स्ट्रोक हो सकता है.
ख़बरों के मुताबिक, 'यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम' (यूबीआई) के तहत यह मदद दी जाएगी. हालांकि, इस स्कीम के लागू होने के बाद लोगों को राशन और एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा नहीं मिलेगा. बता दें कि इसमें वो किसान भी शामिल होंगे, जो दूसरों के यहां मजदूरी करते हैं. मोदी सरकार की इस योजना के मुताबिक गरीब किसानों व बेरोजगारों को प्रत्येक महीना 2500 रुपया दिए जाएंगे. योजना की राशि को वार्षिक आधार पर दिए जाने का प्रावधान किया जा सकता है.
क्या है मोदी सरकार की स्कीम ?
किसानों को कर्ज से राहत देने के लिए मोदी सरकार ने जिन दो मॉडलों का अध्ययन किया है उसमें ओडिशा का मॉडल ज्यादा बेहतर है. ओडिशा राज्य के 'कालिया' मॉडल में किसानों को 5 क्रॉप सीजन में 25,000 रुपये दिए जाते हैं. हालांकि, मोदी सरकार किसानों को राहत देने के लिए फसल सीजन की बजाय साल में एक ही बार आर्थिक मदद देने के लिए विचार कर रही है.
क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम?
इस स्कीम के तहत सरकार देश के प्रत्येक नागरिक को हर माह एक तय राशि देगी. भले ही वह किसी प्रकार से देश के आर्थिक-सामाजिक, भौगोलिक सांचे से सबंध रखता हो. इसके लिए उन्हें अपने आर्थिक हालात को साबित करने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, सरकार दी जाने वाली राशि को महंगाई दर के आधार पर तय करेगी. साथ ही अगर कोई व्यक्ति इस योजना का फायदा उठाकर आमदनी का कोई दूसरा जरिया बनाता है तो सरकार उस पर टैक्स लगाकर इसके फायदे को नियंत्रण भी करेगी.
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