जिंक हमारे शरीर के लिए काफी उपयोगी है। जिंक हमारे शरीर में लगभग 200 पोशक तत्व बनाने में मदद करता है। इसकी कमी से बच्चों में कई तरह की समस्या भी उतपन्न होती हैं जिन्में डायरिया, हैजा की समस्या प्रमुख हैं। लेकिन इसके साथ ही एक अच्छी खबर भी है, जिनके शरीर में जिंक की कमी रहती है अब उनको चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि काशी हिंदू विश्वविद्दालय के कृषि विज्ञान संस्थान ने एक खोज कर लिया है। संस्थान के द्वारा गेहूं की ऐसी प्रजाती को विकसिक किया गया है जो जिंक सहित कई सूक्षम पोषक तत्वों की कमी को पूरा करेगा।
गेहूं की इस नई प्रजाती को बीएचयू 31 नाम दिया गया है। वहीं इसके परीक्षण की बात करें तो पुर्वांचल के विभिन्न जिलों समेत पूरे उत्तर प्रदेश में इसका परिक्षण किया जा चुका है और इसकी खेती को अगस्त में प्रदेश सरकार से हरी झंडी मिल सकती है। गेहूं के इस प्रजति पर हार्वेस्ट प्ल्स योजना के तहत संस्थान स्थित प्लांट एंड जेनेटिक्स विभाग के प्रो. वीके मिश्र ने वर्ष 2004 में काम शुरू किया था। वहीं प्रो.मिश्र की माने तो सामान्य गेहूं में जिंक की मात्रा 25 से 30 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) होती है लेकिन इस नई प्रजाती में जिंक की मात्रा 45 से 50 पीपीपएम तक है।
वहीं इस गेहूं के जरिए किसानों की आय को भी ध्यान में रखा गया है। पो.मिश्र ने कहा कि परीक्षण के दौरान किसानों ने इस नई प्रजाति से करीब 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज अर्जित की है। और इसे 50 क्विंटल तक पहुंचाने पर भी काम चल रहा है। बता दें की अंतर्राष्ट्रीय गेहूं एवं मक्का अनुसंधान संस्थान (मेक्सिको) के सहयोग से देश के चार संस्थानों में जिंक युक्त नई प्रजाति पर काम चल रहा है। इसमें से पंजाब, व करनाल की प्रजाति पहले ही जारी हो चुकी है।
कृषि जागरण
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