भारत में पगड़ी का अपना ही महत्व है, पगड़ी सिर्फ पारंपरिक ग्रामीण जीवनशैली का हिस्सा ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान भी है. अगर आप ग्रामीण भारत में रहते हैं, तो ये जानते ही होंगे कि पगड़ी की एक मर्यादा है, इसके हर रंग का एक मतलब है.
उत्तर भारत में प्रचलित है पगड़ी
उत्तर भारत में तो आज भी किसान बिना पगड़ी पहने बाहर जाना पसंद नहीं करते. वैसे आपने भी आपने जीवन में कई तरह की रंग-बिरंगी पगड़ियां देखी होंगी, लेकिन आपने कभी सोचा है कि विश्व की सबसे विशाल पगड़ी कैसी दिखती है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं.
भारत में पहनी जाती है विश्व की सबसे विशाल पगड़ी
आपको जानकर खुशी होगी कि विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी किसी और देश में नहीं, बल्कि भारत में पहनी जाती है. ये रिकॉर्ड राजस्थान के बीकानेर में रहने वाले पवन व्यास के नाम है, जो पेशे से एक कलाकार हैं. उन्हें पगड़ियों का बहुत शौक है और अपने जीवन में वो कई तरह की पगड़ियां बना चुके हैं.
कई बार मिल चुका है सम्मान
जिस पगड़ी के लिए पवन व्यास का नाम रिकॉर्ड में दर्ज हुआ उसका साइज़ 478 मीटर का है. इस पगड़ी को पहनने में 4 घंटे से भी ज्यादा समय लगता है. पवन को इस पगड़ी के लिए अभी तक राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है. इस पगड़ी के बारे में जानने के लिए फिलहाल दुनियाभर से कलाकर उन्हें संपर्क कर रहे हैं.
संसार की सबसे छोटी पगड़ी बनाने का भी जीत चुके हैं खिताब
वैसे ये जानना दिलचस्प है कि पवन ने न सिर्फ सबसे बड़ी पगड़ी बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है, बल्कि संसार की सबसे छोटी पगड़ी बनाने का खिताब भी जीता है. जी हां, एक सेंटीमीटर लम्बी और महज तीन सेंटीमीटर चौड़ी सबसे छोटी पगड़ी बनाने का खिताब भी उन्हीं के नाम है.
पूर्वजों से मिली विरासत
अपनी उपलब्धि का सारा श्रेय पहन इपने परिवार और पूर्वजों को देते हैं. वो कहते हैं कि बचपन से ही वो ऐसे माहौल में रहे हैं, जहां उन्हें अपनी सांस्कित विरासत की तरफ लगाव रहा है. पगड़ी की महत्वता उन्हें पूर्वजों ही जानने को मिली है. वो कहते हैं कि एक समय था जब हमारे यहां हर त्यौहार, हर मौसम, हर माहौल के लिए अलग तरह की पगड़ी होती थी, लेकिन आज समय कुछ बदल गया है.
परंपराओं का होना चाहिए सम्मान
बदलते हुए समय के साथ लोगों की जीवनशैली बदल रही है, इस बारे में पहन कहते हैं कि उन्हें नए जमाने के रहन-सहन से कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन लोगों को अपनी परंपराओं का भी सम्मान करना चाहिए. विदेशी फैशन के पीछे आज के युवा इस कदर पागल हो गए हैं, कि उन्हें पारंपरिक वेशभूषा गुजरे जमाने की बात लगने लगी है.
पगड़ी में स्वाभिमान का भाव है
पवन व्यास का कहना है कि पगड़ी में जो स्वाभिमान का भाव है, वो विदेशी कपड़ों में नहीं हो सकता. पगड़ी आपको जिम्मेदारियों का ऐहसास कराती है, आपके कर्तव्य बोध का दर्शन कराती है, पगड़ी पहनने के बाद स्वदेशी होने का गौरव प्राप्त होता है.
वोकल फॉर लोकल के तहत पगड़ी व्यापार को मिले मदद
गौरव का कहते हैं कि पीएम मोदी द्वारा 'वोकल फ़ॉर लोकल' के अंतर्गतपगड़ी व्यापार को भी महत्वता दिया जाना चाहिए, ताकि स्वावलंबी भारत का सपना साकार हो सके. पारंपरिक वस्त्रों में वो क्षमता है कि वो लोगों के दिलों में आत्मनिर्भरभारत की चेतना को जगा सके.
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