कृषि जगत में प्राइवेट कंपनियों की हिस्सेदारी को लेकर दिल्ली में केंद्र पंजाब-हरियाणा के किसान आमने-सामने हैं. सरकार अपनी तरफ से समझाने की कोशिश कर रही है कि प्राइवेट कंपनियों के आने से उन्हें फसलों का अच्छा दाम मिलेगा और मुनाफा अधिक होगा. लेकिन किसान अभी भी नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इस बीच मध्य प्रदेश से एक ऐसी खबर सामने आ रही है, जिससे सरकार अचंभे में पड़ गई है.
बिना भुगतान किए गायब हो गई कंपनी
दरअसल प्रदेश में करीब दो दर्जन किसानों को करीब दो करोड़ का नुकसान प्राइवेट कंपनियों की वजह से हुआ है. यहां के हरदा जिले में करीब 2 दर्जन से अधिक किसानों को समझौते के बाद भी प्राइवेट कंपनी से किसी तरह का पैसा नहीं मिला और वो अब इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं. फिलहाल बिना भुगतान किए ही फरार है.
सकते में प्रशासन
प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां किसानों ने एक कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत मसूर-चना के लिए करीब दो करोड़ रुपए का समझौता किया था. लेकिन अब कंपनी ही गायब है. ट्रेडर्स के इस तरह गायब हो जाने से प्रशासन इस समय सकते में है. इस बारे में प्रशासन से मालुम हुआ कि किसानों ने जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत समझौता किया था उसे कंपनी तीन महीने के अंदर ही खत्म कर चुकी है.
पुलिस ने दर्ज की शिकायत
इस समय जिले में लगभग 200 से अधिक किसानों को कंपनी से चूना लगा है. फसल बेचने के बाद ट्रेडर्स द्वारा उन्हें जो चेक दिया गया वो बैंक में बाउंस हो गया. फिलहाल इस बारे में पुलिस को खबर कर दिया गया है और शिकायत दर्ज कर ली गई है. पुलिस ने बताया कि किसानों की शिकायत के अनुसार ट्रेडर्स ने अपना लाइसेंस उन्हें दिखाया था, लेकिन फसल खरीदने के बाद अब वो बिना भुगतान किए गायब है.
कलेक्टर ने क्या कहा
इस बारे में देवास के कलेक्टर ने कहा कि दोषियों को किसी भी प्रकार से माफ नहीं किया जाएगा. पुलिस इस केस के तह तक जाएगी कि आखिर ये सब हुआ कैसे. ट्रेडर्स का पता लगाया जा रहा है और जल्दी ही वो कानून के शिकंजे में होगा. कलेक्टर ने बताया कि ट्रेडर्स ने किसानों को लालच देते हुए उन्हें मंडी रेट से 800 रुपये अधिक दाम देने की बात कही थी.
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