हिसार के लुवास विवि के अनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों ने गाय की एक नयी प्रजाति विकसित की है जिसमें 50 से 55 लीटर तक दूध देने की क्षमता है. हरधेनू नाम की यह गाय 48 डिग्री तापमान में भी सामान्य रहती है. जहां बाकी नस्लें प्रजनन करने के लिए 30 महीने के समय में तैयार होती है वहीँ हरधेनू 18 से 19 महीने में ही प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है. इस प्रजाति को हॉलस्टीन हरियाना व शाहीवाल नस्लों के मेल से विकसित किया गया है.
इस प्रजाति का नाम कामधेनू गाय के नाम पर रखा है. शास्त्रों में कहतें है कि कामधेनु गाय सबकी कामनाओं की पूर्ति करती है इसलिए इसी तर्ज पर इसका नाम हरधेनू रखा गया है. नाम के शुरुआत में ‘हर’ लगाने के कारण हरियाणा की भी पहचान होगी.
वैज्ञानिको द्वारा विकसित की हरधेनू ने आयरलैंड की ‘जर्सी’ नस्ल को पीछे छोड़ दिया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह गाय जर्सी की तुलना में अधिक दूध देने की क्षमता रखती है.
हरियाना नस्ल की गाय के अंदर यूएसए व कनाडा की हॉलस्टीन और प्रदेश की शाहीवाल और हरियाना नस्ल का सीमन छोड़ा गया। तीन नस्लों के मेल से तैयार हुए गाय के बच्चे को ‘हरधेनू ‘ नाम दिया गया।
बता दें जबसे हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है तबसे गाय की नस्लों को सुधारने के लिए ‘इवेलेशन ऑफ न्यू ब्रीड थ्रू क्रॉस ब्रीडिंग एंड सिलेक्शन’ प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. संकर नस्ल की गाय की यह प्रजाति ‘हरधेनू’ वैज्ञानिकों के 45 साल की रिसर्च का परिणाम है.
सबसे पहले वैज्ञानिको ने 30 किसानों को ‘हरधेनू’ नस्ल की गाय दी. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस नस्ल को रिलीज़ कर दिया है. मौजूदा समय में इस नस्ल की लगभग 250 गाय फार्म में है. किसान भाई वहां से इस नस्ल के सांड का सीमन ले सकतें हैं.
लाला लाजपत राय पशु विश्वविद्यालय के विस्तार विभाग में संपर्क कर सकतें हैं...
फोन : 0166 225 6065
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