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पशुओं का बीमा करवाने पर किसानों को बीमा किस्त पर सरकार दे रही है 70 प्रतिशत की सब्सिडी

किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन भी करते हैं. किसानों का मानना है कि कम भूमि तथा कम लागत में लगातार आय का माध्यम स्रोत पशुधन या खेती के साथ जुड़े अन्य कार्यों से हो सकता है. बता दें किसान गाय और भैंस मुख्य रूप से दूध उत्पादन और बकरी, भेड़ और सुअर मांस उत्पादन के लिए करते हैं. यही कारण है इन जानवरों को किसानों का नकदी धन या लगातार आमदनी देने वाला साधन के नाम से जाना जाता है. लेकिन बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि विभिन्न बीमारी अथवा प्राकृतिक आपदा के कारण के कारण पालतू पशुओं की मौत हो जाती है जिससे किसानों को अर्थ या धन की हानि होती है. किसानों इसी समस्या को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पशुओं का बीमा करने के लिए पशुधन बीमा योजना चलाई जा रही है.

प्रभाकर मिश्र

किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन भी करते हैं. किसानों का मानना है कि कम भूमि तथा कम लागत में लगातार आय का माध्यम स्रोत पशुधन या खेती के साथ जुड़े अन्य कार्यों से हो सकता है. बता दें किसान गाय और भैंस मुख्य रूप से दूध उत्पादन और बकरी, भेड़ और सुअर मांस उत्पादन के लिए करते हैं. यही कारण है इन जानवरों को किसानों का नकदी धन या लगातार आमदनी देने वाला साधन के नाम से जाना जाता है. लेकिन बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि विभिन्न बीमारी अथवा प्राकृतिक आपदा के कारण के कारण पालतू पशुओं की मौत हो जाती है जिससे किसानों को अर्थ या धन की हानि होती है. किसानों इसी समस्या को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पशुओं का बीमा करने के लिए पशुधन बीमा योजना चलाई जा रही है.

सभी जानवरों का करा सकते हैं बीमा

बता दें, मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक डॉ. एच.बी.एस. भदौरिया ने जानकारी दी है कि पशुधन बीमा योजना प्रदेश के सभी जिलों में चल रही हैं. इस बीमा योजना के माध्यम से किसान अपने दुधारू पशु के साथ ही सभी पशुओं का बीमा करा सकते हैं. सरकार द्वारा  चलाई जा रही इस पशु बीमा योजना में किसान एक साथ अधिकतम पांच पशु का बीमा करा सकता है जिसे एक साथ बीमित पांच पशु को एक इकाई माना जायेगा इसी प्रकार मांस उत्पादित करने वाले पशु जैसे भेड़, बकरी, सुअर, आदि 10 पशुओं की संख्या को एक पशु इकाई माना जायेगा.

पशुधन बीमा योजना के प्रीमियम पर अनुदान सरकार राज्य के पशुपालकों को पशु के बीमा करने के लिए बीमा किस्त पर सब्सिडी दे रही है. बता दें, एपीएल श्रेणी के किसानों के लिए 50 प्रतिशत तथा बीपीएल, अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति श्रेणी के पशुपालकों के लिए 70 प्रतिशत सब्सिडी सरकार द्वारा बीमित पशु के किस्त पर किसानों को दे रही हैं. बाकी शेष किस्त किसानों को स्वयं देना होगा.  बीमा प्रीमियम कि अधिकतम दर एक साल के लिए 3 प्रतिशत तथा तीन साल के लिए 7.50 प्रतिशत देय होगी.

बीमित पशु के मृत्यु होने पर बीमा कंपनी को 24 घंटों के अंदर सूचना देना जरुरी

बीमित पशु के मृत्यु होने पर बीमा कंपनी को 24 घंटों के अंदर किसानों सूचना देना जरुरी है जिसके बाद पशुपालन विभाग के चिकित्सक पशु के शव  का परीक्षण करेंगे और  उसकी रिपोर्ट में मृत्यु के कारणों को लिखित रूप से बतायेंगें. बीमा कंपनी को अधिकारी दावे संबंधी प्रपत्र एक माह के अंदर प्रस्तुत करेंगे .कंपनी 15 दिवस के अंदर दावे का निराकरण करेगी.

ये खबर भी पढ़े: कृषि व्यापार पर नए कानून से किसानों को मिलेगा उपज का सही दाम

English Summary: The government is giving 70 percent subsidy on the insurance installment to the farmers on insuring animals Published on: 27 May 2020, 08:15 PM IST

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