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सोयाबीन उत्पादक किसान बुवाई के समय रखें इन बातों का ध्यान

मध्यप्रदेश देश का मुख्य सोयाबीन उत्पादक राज्य है, इस राज्य में सोयाबीन की बुवाई अब शुरू हो जाएगी इसलिए जिला कृषि अधिकारी ने किसानों को कुछ ख़ास सलाह दी है जिससे किसानों को फायदा मिल सकता है. सोयाबीन की खेती करने वाले कृषक भाई ध्यान दें कि जिले में मानसून के आगमन की सूचना प्राप्त हुई है। उप संचालक कृषि आर.एस. गुप्ता ने किसानों को सलाह दी है कि लगभग 4 इंच वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन की बुवाई करें एवं बुवाई करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें। मानसून की अनिश्चितता के कारण उत्पादन में स्थिरता हेतु सलाह है कि संभव होने पर सोयाबीन की बुवाई बी.बी.एफ. चौडी क्यारी पद्धति या रिज फैरो कुड मेड पद्धति से ही करें जिससे सूखे या अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित ना हो।

इमरान खान
Crop cultivation

मध्यप्रदेश  देश का मुख्य सोयाबीन उत्पादक राज्य है, इस राज्य में सोयाबीन की बुवाई अब शुरू हो जाएगी इसलिए  जिला कृषि अधिकारी ने किसानों को कुछ ख़ास सलाह दी है जिससे किसानों को फायदा मिल सकता है.  सोयाबीन की खेती करने वाले कृषक भाई ध्यान दें कि जिले में मानसून के आगमन की सूचना प्राप्त हुई है। उप संचालक कृषि  आर.एस. गुप्ता ने किसानों को सलाह दी है कि लगभग 4 इंच वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन की बुवाई करें एवं बुवाई करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें। मानसून की अनिश्चितता के कारण उत्पादन में स्थिरता हेतु सलाह है कि संभव होने पर सोयाबीन की बुवाई बी.बी.एफ. चौडी क्यारी पद्धति या रिज फैरो कुड मेड पद्धति से ही करें जिससे सूखे या अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित ना हो। सोयाबीन के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों नाइट्रोजन: फॉस्फोरस : पोटाशःसल्फर की पूर्ति के लिए उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में बुवाई  के समय करें। इसके लिए सीड-कम-फर्टी सीड ड्रील का प्रयोग किया जा सकता है, जिसकी अनुपस्थिति में चयनित उर्वरकों का खेत में छिड़काव करने के पश्चात् बुवाई करें। सोयाबीन की बुवाई  हेतु 45 से.मी. कतारो की दूरी परद तथा न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर 55 से 75 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें।

Soyeabean Sowing

ऐसे करे बीज उपचार

उप संचालक कृषि  गुप्ता ने बताया कि बुवाई  के समय बीज उपचार अवश्य करें। इसके लिए अनुशंसित फफूंदनाशक है। पेनफ्लूफेन व ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन 1 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा थायरम व कार्बोक्सीन 3 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा थायरम व कार्बेन्डाजिम  2:1 3 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 ग्रा. प्रति क्रि.ग्रा.बीज मिलायें। तत्पश्चात् जैविक कल्चर ब्रेडी राइझोबियम जपोनिकम एवं रफूर घोलक जीवाणु दोनों प्रत्येक 5 ग्रा. प्रति क्रि.ग्रा.बीज की दर से टीकाकरण की भी अनुशंसा है। पीला मोजाईक बीमारी की रोकथाम हेतु सलाह है कि फफूंदनाशक से बीजोपचार के साथ - साथ अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ. एस. 10 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. 1.2 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज) से भी बीज उपचार करें। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर सफेद सूंडी का प्रकोप हुआ था उन क्षेत्रों के कृषको को सलाह है कि व्हाइट ग्रब के वयस्को को एकत्र कर नष्ट करने के लिए अपने खेतो में प्रकाश जाल अथवा फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें। साथ ही बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. 1.25 मि.ली. प्रति किलो बीज से बीजोपचार अवश्य करें। बुवाई  के तुरंत  बाद एवं सोयाबीन के अंकूरण पूर्व खरपतवार नाशक जैसे डाईक्लोसुलम 26 ग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा सल्फेन्ट्राझोन 750 मि.ली. प्रति हेक्टेयर अथवा पेन्डीमिथालीन 3.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। इससे  फसल ख़राब नहीं होगी और पैदावार भी अच्छी मिलेगी 

English Summary: Soyabean sowing method in madhya Pradesh Published on: 26 June 2019, 03:22 PM IST

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