
Litchi Production: बिहार सिर्फ इतिहास और संस्कृति के लिए नहीं, मीठे रस वाली लीची के लिए भी देशभर में मशहूर है. बिहार की लीची आज न सिर्फ देश, बल्कि बिहार की प्रसिद्ध शाही लीची अब विदेशों में भी अपनी मिठास बिखेर रही है. बहरीन, दुबई और यूरोप के कई देशों में इसका निर्यात लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में अब मुजफ्फरपुर की शाही लीची को लेकर जियोटैगिंग (Geotagging) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे इसकी खेती की सटीक जानकारी मिल सकेगी और साथ ही इसके संरक्षण को बढ़ावा मिल सके.
आइए यहां जानते हैं कि बिहार की शाही लीची की खेती/Cultivation of Royal Litchi और अन्य कई जरूरी जानकारी...
राज्य में 60% हो रही शाही लीची की खेती
बिहार कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में किसानों के द्वारा कुल 32 हजार हेक्टेयर जमीन पर लीची की खेती की जा रही है. इनमें से 60 फीसदी हिस्से में शाही लीची उगाई जाती है. बता दें कि राज्य में यह पहल लीची अनुसंधान संस्थान और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से की जा रही है.
जियोटैगिंग से मिलेंगे ये फायदे
- शाही लीची की पहचान और प्रमाणीकरण में आसानी होगी.
- किसानों का पंजीकरण कर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा.
- निर्यात में वृद्धि और गुणवत्ता नियंत्रण संभव.
- किसानों को बाजार से सीधा लाभ मिलेगा.
- लीची के संरक्षण और क्षेत्र विस्तार की योजनाएं मजबूत होंगी.
2018 में मिला था जीआई टैग
लीची अनुसंधान संस्थान के अनुसार, मुजफ्फरपुर की शाही लीची को 2018 में GI टैग मिल चुका है. अब जियोटैगिंग के जरिए इसके दायरे को और बढ़ाया जा सकेगा, जिससे वैश्विक बाजार में इसकी पहुंच और मजबूत होगी.
1000 करोड़ का है लीची कारोबार
बिहार लीची उत्पादक संघ के मुताबिक, राज्य में लीची का कुल बिजनेस करीब 1,000 करोड़ रुपये तक का है. इसमें शाही लीची की हिस्सेदारी अहम है. एपीडा (APEDA) और राज्य सरकार के सहयोग से इसका निर्यात लगातार बढ़ रहा है.
लीची उत्पादन में बिहार नंबर वन
बिहार में हर साल लगभग 3.08 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है, जो देश के कुल लीची उत्पादन का लगभग 42% है. उत्तर बिहार के 26 जिलों की उर्वर धरती पर जब लीची के बागों में फूल खिलते हैं, तो जैसे मिठास की एक नर्म लहर बह निकलती है. विशेष रूप से बूढ़ी गंडक नदी के किनारे की जलोढ़ मिट्टी, जिसमें प्राकृतिक रूप से कैल्शियम और नमी भरपूर होती है, लीची के लिए जैसे वरदान है. मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, और सीतामढ़ी — इन जिलों को लोग प्यार से ‘लीची भूमि’ (Land of Litchi) कहते हैं. यहां की लीची न सिर्फ स्वाद में बेमिसाल है, बल्कि इसकी खुशबू भी पहचान बन चुकी है.
Share your comments